अच्छी नौकरी की तलाश में विदेश चली जातीं हैं केरल की नर्सें

नईदिल्ली। टीवी जोस और उनकी पत्नी दो सप्ताह से ठीक से सोए नहीं हैं। केरल के कोट्टायम जिले के कुराविलंगद की इस गरीब जोड़ी की सभी तीन बेटियां नर्स हैं जिनमें से 28 वर्षीय जोसेली और 24 वर्षीय जसीना यमन में फंसी हुई हैं। दो दिन पहले दोनों बहनों ने जोस को फोन पर बताया कि यमन में हालात सचमुच खराब हैं। तभी से जोस चिंता में हैं।

जोस ने कहा, मेरी सबसे छोटी बेटी हमारे गृहनगर में कार्यरत है और दो बड़ी बेटियां हमारे कर्जों का बोझ कम करने की उम्मीद से दो साल पहले यमन चली गईं। दो साल में उन्हें केवल तीन बार वेतन मिला। जोस ने बेटियों की यमन यात्रा के कागजात के लिए दो लाख रुपये कर्ज लिए थे। उनके वेतन का समय से भुगतान नहीं होने के कारण जोस को फिर कर्ज लेने पड़े। उनका दो कमरों का मकान गिरवी रखा जा चुका है। फिलहाल वह 13 लाख रुपये के कर्ज से दबे हैं। यह एक बड़ी वजह है कि उनकी बेटियां यमन से खाली हाथ लौटना नहीं चाहतीं। जोस ने कहा, हमने किसी लालच के कारण अपनी बेटियों को विदेश नहीं भेजा। उन्होंने परिवार की आर्थिक मुश्किलों को दूर करने के लिए खुद इसका चुनाव किया।

बगल के इदुक्की जिले में 26 वर्षीय एलिजाबेथ जॉनसन के माता-पिता इन दिनों अधिकतर समय चर्च में गुजार रहे हैं। जब कभी फोन की घंटी बजती है वे किसी अच्छी खबर की उम्मीद करते हैं। एलिजाबेथ सना के एक अस्पताल में काम करने के लिए 2013 में यमन गई। यमन जाने के लिए उसे एक ट्रैवल एजेंट को डेढ़ लाख रुपए देने पड़े थे। आंध्र प्रदेश में तीन लाख रुपये खर्च कर उसने नर्स की ट्रेनिंग ली थी। दिहाड़ी पर काम करने वाले उसके पिता पी जॉनसन ने कहा, हैदराबाद या दिल्ली में काम करने पर उसे इतना वेतन नहीं मिलता कि वह ये कर्ज चुका पाए।

केरल की नर्सो की दुनियाभर में भारी मांग एक जानीमानी बात है लेकिन यह तथ्य प्राय: लोग नहीं जानते कि वे अपने घर-परिवार की जिंदगी को बेहतर बनाने का सपना लेकर विदेश जाती हैं। इसी सपने का पीछा करते हुए केरल की 500 से अधिक नर्से यमन में फंसी हैं। देश या अपने राज्य में काम की खराब स्थितियां और कम वेतन उन्हें विदेश जाने को प्रेरित करता है। केरल की अधिकतर नर्से पढ़ाई और विदेश में काम करने का वीजा बनवाने के लिए लिए कर्ज लेती हैं। विदेशों में उन्हें प्राय: पांच गुना ज्यादा वेतन मिलता है। लेकिन विदेश जाने के लिए उन्हें कई बार दलालों और एजेंटों की जेब भी भरनी पड़ती है। कई बार एक वीजा के लिए दो लाख रुपये तक देने पड़ते हैं।

  • यमन में फंसी नर्से
  • कर्ज लेकर पढ़ाई करने और विदेश जाने वाली नर्से लौटकर परिवार की हालत सुधारना चाहती हैं
  • केरल की नर्सें विदेश जाने के लिए मशहूर हैं, मगर उनकी इस सच्चाई को लोग कम ही जानते हैं
  • 3500 के करीब भारतीय फंसे हैं यमन में
  • 70 फीसदी इनमें से अकेले केरल से हैं
  • 500 से 700 इनमें से नर्से हैं
  • 20 हजार नर्सें हर साल केरल के करीब 100 नर्सिग कॉलेजों से निकलती हैं
  • 05 गुना या इससे भी अधिक वेतन मिलता है नर्सों को विदेश में देश के मुकाबले


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