मुंबई| मुंबई की सड़कों पर रात के समय 15 आदमी जब औरतों के लिबास में निकले तो कइयों की नींद उड़ गई। कोई साड़ी पहने था, कोई सलवार-सूट तो कोई स्कर्ट। ये समलैंगिक समुदाय के नहीं थे। पुरुष थे फिर भी औरतों के कपड़े पहने निकले थे। इनके मुताबिक ये एक संदेश देना चाहते थे कि, औरत हो या मर्द सबको अपने पसंद के कपड़े पहनने की आजादी होनी चाहिए।
ये सभी लोग 'वाय लॉएटर' ('क्यों तफरी करें') नाम के संगठन के बैनर तले इकट्ठा हुए थे। इस संगठन की शुरुआत करने वाली नेहा सिंह के मुताबिक उनका मकसद है सार्वजनिक जगहों पर पुरुषों की ही तरह महिलाओं को घूमने-फिरने की आजादी की मांग।
नेहा के मुताबिक समाज में आम धारणा है कि कई बार लड़की का पहनावा ऐसा होता है जिसकी वजह से उसका रेप किया जाता है, लेकिन शोध बताते हैं कि ये सरासर गलत है। ये प्रदर्शन 20 साल की लड़की ओजगेसान असलान के मामले की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए किया गया था। दरअसल, तुर्की की रहनेवाली छात्रा असलान ने जब अपने बलात्कारियों को रोकने की कोशिश की थी तब उसकी हत्या कर दी गई थी।