आँखों के बदलते रंगो मे छुपा है आपकी सेहत का राज

डॉ. सुनील गुप्ता, नेत्र रोग विशेषज्ञ| बीमार होने पर डॉक्टर सबसे पहले आंखों की जांच करते हैं। ऎसा इसलिए किया जाता है कि कई रोगों के बारे में जानकारी आंखों से ही मिलती है। आइए जानते हैं आंखों में किसी भी तरह का बदलाव होने से कौनसी बीमारियों का पता लगाया जा सकता है-



काला मोतिया
लंबे समय या अचानक शाम के वक्त आंख में दर्द और भारीपन महसूस होने पर लालिमा दिखने से काला मोतिया होने की आशंका रहती है।

एलर्जी
आंखों में एलर्जी होना सामान्य बात है जिसका आंख की गुलाबी रंगत से पता लगाया जा सकता है। एलर्जी किसी भी प्रकार की हो सकती है जैसे धूल-मिट्टी और धूप से भी।

आइराइटिस
कई बार शरीर में चोट लगने या रोग होने के कारण अांख के पीछे वाले पर्दे पर सूजन, जलन और भारीपन महसूस होने लगता है जिससे आंख का रंग बदलकर बैंगनी हो जाता है। इस समस्या को आइराइटिस कहते हैं।

गुहैरी
कई बार आंख के अंदरूनी या बाहरी भाग में इंफेक्शन होने के कारण दर्दभरी फुंसी हो जाती है जिसे गुहैरी कहते हैं। ऎसे में आंख बंद करने में परेशानी महसूस होती है।

ब्लिफरिट्स 
आंखों की पलकों के किनारे इंफेक्शन होने पर जब सूखापन, खिंचाव, सूजन और आंखों को खोलने व बंद करते समय दर्द महसूस हो तो इस समस्या को ब्लिफरिट्स कहते हैं।

डायबिटीज
यदि आंखों के पर्दे (रेटिना) में फीकापन, सफेद धब्बे बनना, खून की नसें फूलना, खून के थक्के बनना और झिल्ली के बनने जैसे लक्षण हों तो एनीमिया, किडनी रोग, डायबिटीज और ब्लड प्रेशर की समस्याएं हो सकती हैं।

मोतियाबिंद
आंख की पुतली में अगर सफेद घेरा या चमक दिखाई दे तो यह मोतियाबिंद का लक्षण हो सकता है। इसमें व्यक्ति को धुंधलापन, हल्का दर्द और सूजन होने लगती है।

कॉर्निया में समस्या
इसमें कॉर्निया पर चोट या खरोच आने की वजह से आंखों से पानी आने लगता है और रोशनी की तरफ देखने से असहनीय दर्द होता है।


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