पढ़िए यूलिप पेंशन प्लान में क्या क्या बदल गया

निवेश आपको ताउम्र चिंता मुक्त तो रखता ही है साथ ही टैक्स छूट की सौगात भी लाता है। निवेश योजना बनाते समय आपको दीर्घकालिक रणनीति के तहत पेंशन स्कीम को जरूर अपने पोर्टफोलियो में शामिल करना चाहिए। यूनिट लिंक्ड पेंशन प्लान यानी यूएलपीपी इसके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है। हालांकि बीमा नियामक इरडा की कड़ी शर्तो के चलते बीमा कंपनियों ने पिछले कई महीनों से यूएलपीपी उतारना बंद कर दिया था। 

इसमें इरडा ने कंपनियों से न सिर्फ निवेश की मैच्योरिटी पर बल्कि पॉलिसी के दौरान ग्राहक की मौत होने या पॉलिसी सरेंडर करने पर भी निश्चित रिर्टन देने का निर्देश दिया था। बाद में नियामक ने गाइडलाइन में थोड़ी ढील दी, जिसके बाद छह महीने के भीतर ही एलआइसी, एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस, आइसीआइसीआइ प्रूडेंसियल लाइफ इंश्योरेंस समेत कई कंपनियों ने बाजार में पेंशन प्लान उतारा है। इन पेंशन प्लान में आय कर की धारा 80 सी के तहत टैक्स छूट का पूरा लाभ मिलता है।

नए यूनिट लिंक्ड पेंशन प्लान की खास बात
यह पांच साल की लॉक इन अवधि का प्लान है। आप इस पॉलिसी को यदि सरेंडर या खत्म करना चाहें तो भी रकम आपको मैच्योरिटी पर ही मिलेगी। वित्तीय सुरक्षा के मद्देनजर लंबी अवधि के निवेश को बरकरार रखने के मकसद से नई गाइडलाइन में सिंगल प्रीमियम प्लान खरीदने का विकल्प भी है। यूएलपीपी में यूलिप की तरह ही शुल्क लागू होते हैं। सरेंडर की स्थिति में यूनिट लिंक्ड पेशन प्लान 6,000 रुपये से अधिक सरेंडर शुल्क नहीं ले सकता और यह सिर्फ शुरू के चार साल में ही लागू होता है। पहले यूनिट लिंक्ड पेंशन प्लान मार्केट लिंक्ड प्लान था। इस लिहाज से जोखिम अधिक होने की वजह से ग्राहक इसे अधिक पसंद नहीं करते थे।

फ्लेक्सी प्लस
एलआइसी की इस यूएलपीपी में बीमाधारक की असामयिक मृत्यु पर तत्काल बीमा धन का भुगतान होगा। परिपक्वता के बाद देय सभी प्रीमियमों के बराबर की राशि पॉलिसीधारक के फंड में क्रेडिट कर दी जाएगी। इस प्लान का 60 फीसदी निवेश शेयरों में है।

पेंशन सुपर प्लस
एचडीएफसी के इस प्लान का 60 फीसदी तक निवेश शेयरों में है। ग्राहक की पॉलिसी के दौरान मृत्यु हो जाती है तो नॉमिनी को छह फीसद की दर से अधिकतम फंड वैल्यू मिलता है।

शुभ रिटायरमेंट
आइसीआइसीआइ के इस प्लान में निवेश के तीन विकल्प हैं। पहले में 75 फीसद, दूसरे में 50 फीसद और तीसरे में 25 फीसद निवेश शेयरों में किया जाता है। पॉलिसी धारक की मौत पर मिलने वाले रिटर्न की तरह ही मैच्योरिटी पर भी निश्चित रिटर्न का वादा किया जाता है।

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