Mrunal Bhoslay boxing champion,Bronze medalist Mrunal bhoslay
पुणे। पुणे के 28 वर्षीय मृणाल भोंसले ने नेशनल चैंपियनशिप में बॉक्सिंग का कांस्य पदक जीता है, लेकिन इसके बावजूद वे टेम्पो चलाकर परिवार पालने को मजबूर हैं। बॉक्सिंग के प्रति अपने उत्साह को कायम रखते हुए वे और पदक जीतना चाहते हैं, लेकिन सुविधाओं का अभाव है।
पुणे के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में महाराष्ट्र इंस्टिट्यूट ऑफ गेम्स एंड स्पोर्ट्स स्थित है। इस इलाके के लोग मृणाल को चैंपियन बॉक्सर के नाम से जानते हैं, लेकिन इसके अलावा वे जहां जाते हैं, वहां टेम्पोवाला कहकर पुकारे जाते हैं।
मृणाल शुरू से बॉक्सिंग का राष्ट्रीय पदक जीतना चाहते थे। अपने इस सपने को साकार करने के लिए उन्होंने कई तरह के काम किए। जिला और राज्य स्तर पर शानदार प्रदर्शन करने के बाद भी राष्ट्रीय स्तर पर कामयाबी नहीं मिली तो 2002 में बॉक्सिंग छोड़ने का मन बना लिया था।
चार साल बाद फिर नई शुरुआत की। आखिरकार कामयाबी मिली। इस साल जनवरी में हुए राष्ट्रीय खेलों में 64 किलो वर्ग में उन्होंने कांस्य पदक जीता।
मृणाल को इस बात का अफसोस है कि इतने संघर्ष के बाद भी उनकी आर्थिक स्थिति नहीं सुधर सकी। राष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीतने के बाद भी सरकार नौकरी नहीं दिला सकी है।
वे बताते हैं, बीते दिनों में टेम्पो से एक व्यापारी के यहां माल देने गया, तो उसने आश्चर्य से पूछा, तुम अब भी टेम्पो चला रहे हो। मृणाल के मुताबिक, मैं दिनभऱ टेम्पो चलाने के बाद बमुश्किल 200 से 500 रुपए कमा पाता हूं।
पुणे सिटी अमेच्यॉर बॉक्सिंग एसोसिएशन के सचिन मदन वाणी ने अपील की है कि सरकार को मृणाल जैसे खिलाड़ियों की मदद के लिए आगे आना चाहिए।