नवसंवत्सर लगने के एक पखवाड़ा बाद खगोलीय घटना होने वाली है। चार अप्रैल शनिवार को चंद्रग्रहण लगेगा। ग्रहण के चलते सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्रों में भी व्यापक असर पडऩे की संभावना है।
प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से मानव भी इस घटना से प्रभावित होंगे। ज्योतिर्विद आचार्य अविनाश राय बताते हैं कि ग्रहण खगोलीय घटना होने के साथ आध्यात्मिक साधना सिद्धि का पर्व है। ग्रह-नक्षत्रों का अध्ययन करने वालों के लिए यह खास स्थिति होती है। बताते हैं कि चंद्रग्रहण एशिया के पूर्वी भाग में अधिक दिखेगा, भारत के उत्तर-पूर्वी भाग के अंडमान निकोबार में आंशिक ग्रहण दिखेगा।
ग्रह नक्षत्रम् ज्योतिष शोध संस्थान के निदेशक ज्योतिर्विद आशुतोष वाष्ण्रेय बताते हैं ग्रहों की दुनियां में घटित होने वाली इस घटना की विवेचना पौराणिक, आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक नजरिए से शास्त्रों में वर्णित है। बकौल वाष्ण्रेय ग्रहण के समय सिंह लग्न रहेगा, सूर्य, बुध व केतु मीन राशि में गुरु कर्क, शुक्र व मंगल मेष राशि, शनि वृश्चिक राशि में रहेंगे। इस समय दान-पुण्य करने से साधकों को कष्टों से मुक्ति मिलेगी।
सूतक-
चंद्रग्रहण का सूतक नौ घंटे पहले सूर्योदय से आरंभ हो जाएगा। स्पर्श (आरंभ) दिन में 3.45 बजे। मध्य (पूर्ण ग्रहण) शाम 5.30 बजे। मोक्ष (समाप्ति) शाम 7.19 बजे।
गर्भवती महिलाएं-
गर्भवती महिलाएं इधर-उधर न टहलें। गर्भवती महिलाओं के लिए सब्जी, कपड़ा काटना व सिलना वर्जित है। इस अवधि में भोजन न पकाएं, न ग्रहण करें। गर्भवती स्त्रियों जिस बिस्तर में बैठें उसका पाया पानी भरी कटोरी में रखें।
क्या करें क्या ना करें-
ग्रहण के समय पका हुआ भोजन न रखें। ग्रहण को नंगी आंखों से देखने का प्रयास न करें। छोटे बच्चों को इधर-उधर न घूमने दें। प्रतिमाओं का स्पर्श करने से बचें। ग्रहणकाल में मन में आराध्य का स्मरण करें। घर में पका भोजन है तो उसके बर्तन में गाय का गोबर अथवा कुश लगाएं। ग्रहण समाप्त होने के बाद घर की धुलाई करें। ग्रहण के बाद गंगा एवं अन्य पवित्र नदियों में स्नान कर दान करें।
राशि के अनुसार करें दान-
मेष- लाल मसूर की दाल, गुड़, लाल वस्त्र दान के साथ मंगल के मंत्रों का जप करें।
वृष- कपूर, सफेद वस्त्र, चावल का दान व शुक्र के मंत्रों का जप करें।
मिथुन- हरी मूंग की दाल, हरी सब्जी का दान, गणपति एवं बुध के मंत्रों का जप करें।
कर्क - दही, दूध, सफेद वस्त्र, चीनी, चांदी का दान करें, महामृत्युंजय एवं चंद्रमा के मंत्रों का जप करें।
सिंह - गेहूं, सोना, लाल वस्त्र, सेब का दान, आदित्यहृदय स्त्रोत व सूर्य मंत्रों का जप करें।
कन्या - कांसे का बर्तन, छोटी हरी इलायची का दान, गणपति व बुध मंत्रों का जप करें।
तुला- सुगंधित अगरबत्ती, कपूर व इत्र का दान, लक्ष्मी व शुक्र के मंत्रों का जप करें।
वृश्चिक- लाल वस्त्र, लाल चंदन का दान सुंदरकांड का पाठ करें।
धनु - हल्दी, चने की दाल, केसर का दान, गुरुमंत्र का जप करें।
मकर- काली उड़द की दान, काला तिल का दान शनि एवं भैरव मंत्रों का जप लाभकारी।
कुंभ- काला वस्त्र, काला चना व सरसों के तेल का दान, शनि चालीसा व शिवाष्टक का पाठ करें।
मीन- केला, अरहर की दाल, पीला वस्त्र का दान, गुरु गीता एवं गुरुमंत्रों का जप करें।
दान से दूर करें कष्ट-
ग्रहण की समयावधि में जन्म लेने वाली संतानें कष्ट में न रहें। इसके लिए सफेद चीजों का दान करना चाहिए। इसमें चीनी, चावल, दूध, दही, पनी श्वेत वस्त्र एवं चांदी से निर्मित वस्तुओं का दान करना अति श्रेयस्कर होगा। चंद्रग्रहण मेष, कर्क, वृश्चिक, धनु राशियों के लिए शुभप्रद रहेगा। शेष राशियों वाले व्यक्तियों पर आंशिक विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।