शनिवार तो हर हफ्ते आता है लेकिन जिस शनिवार को अमावस्या तिथि होती है वह शनिवार बहुत ही खास हो जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि बहुत ही दुर्लभ योग है। अमावस्या और शनिवार दोनों ही शनि के प्रभाव में होते हैं। इसलिए यह प्रबल शनि योग बनाता है। इस योग में जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने के उपाय करने चाहिए।
जिनकी कुण्डली में शनि की प्रतिकूल स्थिति होती है उन्हें साढ़ेसाती एवं शनि की ढैय्या के दौरान काफी संघर्ष करना पड़ता है। इन दिनों कन्या, तुला और वृश्चिक राशि वाले व्यक्ति साढ़ेसाती के प्रभाव में चल रहे हैं। जबकि कर्क और मीन राशि के व्यक्ति ढ़ैय्या के प्रभाव में है। इसलिए उन्हें इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए।
ज्योतिशास्त्र में शनि अमावस्या के दिन करने योग्य कुछ आसान उपाय बताया गए हैं
11 बार महाराज दशरथ द्वारा लिखा गया दशरथ स्तोत्र का पाठ। शनि महाराज ने स्वयं दशरथ जी को वरदान दिया था कि जो व्यक्ति आपके द्वारा लिखे गये स्तोत्र का पाठ करेगा उसे मेरी दशा के दौरान कष्ट का सामना नहीं करना होगा।
इस दिन जल में चीनी एवं काला तिल मिलाकर पीपल की जड़ में अर्पित करके तीन परिक्रमा करने से शनि प्रसन्न होते हैं। शनिवार के दिन उड़द दाल की खिचड़ी खाने से भी शनि दोष के कारण प्राप्त होने वाले कष्ट में कमी आती है।
मंत्रों से करें शनि को खुश
शनि को खुश करने के लिए ज्योतिषशास्त्र में कुछ मंत्रों का भी उल्लेख किया गया है। जैसे शनि वैदिक मंत्र 'ओम शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शं योरभि स्रवन्तु न:।'
शनि का पौराणिक मंत्र 'ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तण्डसंभुतं नमामि शनैश्चरम।'
इन मंत्रों का नियमित कम से कम 108 बार जप करने से शनि के प्रकोप में कमी आती है।