सरकार ने कश्मीरी स्टूडेंट्स की स्कॉलरशिप रोकी

नई दिल्ली: रोहतक के इंजीनियरिंग कॉलेज ने 13 कश्मीरी छात्रों को कॉलेज से निकाल दिया है. साल 2013 में इन कश्मीरी छात्रों ने प्रधानमंत्री विशेष छात्रवृति योजना के तहत रोहतक कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट में दाखिला लिया था. एक महीने बाद परीक्षा होने वाली है लेकिन उससे पहले इन छात्रों को कॉलेज प्रशासन ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है.

कॉलेज प्रशासन का कहना है कि शिक्षा मंत्रालय की तरफ से कॉलेज को इन छात्रों के लिए फंड नहीं दिया जा रहा. प्रधानमंत्री विशेष छात्रवृति योजना आर्थिक रूप से कमजोर कश्मीरी छात्रों के लिए है. कश्मीर से बाहर पढ़ाई करने वाले ऐसे छात्रों की पढ़ाई का पूरा खर्चा सरकार देती है. कॉलेज और हॉस्टल से निकाले जाने के बाद ये लोग एक किराये के मकान में रह रहे हैं. एक महीने बाद परीक्षा होनी है.

कॉलेज प्रशासन ने छात्रों से साफ कह दिया है कि अगर परीक्षा देनी है तो फीस भरनी होगी लेकिन इन छात्रों के परिवार के पास इंजीनियरिंग की पढ़ाई की फीस भरने के लिए पैसे नहीं हैं.  जब इस मामले में कॉलेज प्रशासन से बात करने की कोशिश की तो कॉलेज के चेयरमैन ने कुछ भी बोलने से मना कर दिया. सवाल ये है कि इन छात्रों का भविष्य खराब करने का जिम्मेदार कौन है.

 जम्मू कश्मीर के विभिन्न हिस्सों से आए स्टूडेंट्स, दोहरी मार झेल रहे हैं. रोहतक इंस्टीट्यूटी ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट ने इन सभी 13 स्टूडेंट्स को कॉलेज और होस्टल से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. इसके पीछे वजह यह है कि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से फंड जारी नहीं किया गया है.

फंड न जारी का बहाना बनाकर इन सभी कश्मीरी स्टूडेंट्स को कॉलेज ने निकाल दिया है. जबकि कॉलेज में कक्षाएं चल रही हैं और एक माह बाद परीक्षा भी होनी हैं. ऐसे में इन स्टूडेंट्स के पास कोई ठिकाना नहीं रहा तो मजबूरन उन्हें रोहतक में ही किराए के मकान में आशियाना लेना पड़ा. यहां भी एक-एक कमरे में चार स्टूडेंट्स रहने को मजबूर हैं. एक तो कॉलेज ने निकाल दिया और अब उस पर रोजाना का खर्च अलग से.

केंद्र सरकार की ओर से कश्मीरी स्टूडेंट्स को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री विशेष छात्रवृत्ति योजना की शुरूआत की गई थी. इस योजना के तहत डिग्री, मेडिकल कॉलेज और इंजीनियरिंग कालेज में जम्मू कश्मीर से बाहर के राज्यों में दाखिल लेने वाले स्टूडेंट्स के लिए छात्रवृत्ति का प्रावधान है. हालांकि इसके लिए शर्त यह है कि स्टूडेंट जम्मू कंश्मीर का निवासी हो और बार बारहवीं पास हो. साथ ही परिवार की सालाना आमदनी साढ़े चार लाख रूपए से कम हो. जो भी स्टूडेंट् यह योग्यता रखता हो, वह छात्रवृत्ति पाने की योग्यता रखता है.

छात्रवृत्ति इस योजना के तहत सामान्य डिग्री के लिए 30 हजार रूपए सालाना, इंजीनियरिंग कोर्स के लिए सवा लाख रूपए सालाना और मेडिकल कोर्स के लिए तीन लाख रूपए सालाना की छात्रवृत्ति मिलती है.

जम्मू-कश्मीर के इन 13 स्टूडेंट्स ने भी प्रधानमंत्री विशेष छात्रवृत्ति योजना के तहत वर्ष 2013 में रोहतक इंस्टीट्यूटी ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट के बीटैक कोर्स में दाखिल लिया. जम्मू कश्मीर की एक कंसलटेंसी एजेंसी के जरिए ही दाखिला की तमाम प्रक्रिया चली. तब उस कंसलटेंसी एजेंसी ने भी प्रति छात्र 10 से 15 हजार रूपए वसूले और उन्हें भरोसा दिलाया कि छात्रवृत्ति योजना के तहत उनसे किसी भी प्रकार की फीस वसूली नहीं जाएगी. सारी फीस योजना के तहत केंद्र सरकार ही वहन करेगी.

अगस्त 2013 में जम्मू कश्मीर के नासिर सोफी, तोसिफ अहमद लोन, इरफान अहमद, मोहम्मद आसिफ भट्ट, ओवेस मकबूल, पीरजादा आमिर, जावेद अहमद, शाह नवाज रसीद, जहूर अहमद मीर, सूहैल अहमद, तारीक अब्दुल्ला, उबैद बशीर और इशफाख अहमद डार ने रोहतक इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट के बीटैक कोर्स में दाखिला लिया. शुरूआत में ही कॉलेज प्रबंधन की ओर से इन स्टूडेंट्स को आश्वासन दे दिया गया था कि छात्रवृत्ति योजना के तहत उनसे किसी प्रकार की फीस नहीं वसूली जाएगी, लेकिन अब दो साल बाद प्रबंधन ने रूख अचानक ही बदल गया. प्रबंधन ने सभी स्टूडेंट्स से कॉलेज फीस और हास्टल फीस की मांग करनी शुरू कर दी. जब स्टूडेंट्स ने इंकार कर दिया तो उन्हें कॉलेज और हॉस्टल से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.

कॉलेज और हास्टल से निकाले जाने के बाद इन स्टूडेंटस के पास कोई ठोर ठिकाना नहीं रहा. ये बीच मंझधार में फंस कर रह गए. पढ़ाई के दो साल पूरे होने को हैं और चौथे सेमेस्टर की परीक्षाएं एक माह बाद शुरू होनी हैं. ऐसे में उनका भविष्य अधर में लटक गया है. इन स्टूडेंट्स ने कॉलेज प्रबंधन ने गुहार लगाई, लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है. वहां से एक ही जवाब मिलता है कि फीस भर दो और परीक्षा दे दो. बिना फीस के कॉलेज में प्रवेश नहीं मिलेगा.

कॉलेज के पास इनके मूल प्रमाण पत्र भी जमा हैं. ऐसे में भी इन स्टूडेंट्स ने आस नहीं छोड़ी और कॉलेज से निकाले जाने के बाद वे रोहतक के प्रेम नगर में किराए का मकान लेकर रह रहे हैं. उन्हें एक ही आस है कि कहीं न कहीं तो उनकी आवाज सुनी जाएगी. इसी आस में वे सभी 13 स्टूडेंट् रोहतक में जमे हुए हैं.
  
कश्मीरी स्टूडेंटस का कहना है कि वे रोहतक में भविष्य बनाने आए थे, लेकिन उन्हें क्या पता था कि भविष्य पर ही सवालिया निशान लग जाएगा. वे सभी गरीब परिवार के बच्चे हैं और कॉलेज की भारी भरकम फीस वहन नहीं कर सकते. प्रबंधन उन पर दबाव भी बना रहा है कि फीस जल्द भरो और परीक्षा दो.

उनका कहना है कि जम्मू कश्मीर में आई बाढ़ तो पहले ही उनका परिवार बर्बाद कर दिया और अब कॉलेज ने उनका भविष्य ही बर्बाद कर दिया है. उधर, कश्मीरी स्टूडेंट्स को कॉलेज से निकालने का मामला उछलने के बाद अब प्रबंधन इस मामले में बात करने के लिए तैयार नहीं है. कालेज के निदेशक डा. किशोर चावला ने इस मुद्दे पर किसी भी प्रकार की बात करने से इंकार कर दिया.


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