ऑस्ट्रेलिया से एमबीए करने वाले पानीपत के अनुज मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करने की बजाय खेतों में पसीना बहा रहे हैं।
वे पढ़ाई पूरी करने के बाद 2011 में अपने गांव लौटे और खेती शुरू की। 15 एकड़ से अधिक जमीन में बिना मिट्टी का प्रयोग से खेती कर सालाना दस लाख रुपये कमा रहे हैं।
अनुज कहते हैं कि ऑस्ट्रेलिया में एमबीए करते वक्त अपना खर्चा निकालने के लिए टैक्सी चलाते थे। वहां पहली बार बिना मिट्टी के होने वाली खेती को देखा और इस तकनीक की जानकारी हासिल की।
अलग तरीके से करते हैं खेती
ऑस्ट्रेलिया में ही अच्छी नौकरी मिल रही थी, लेकिन किसी दूसरे के लिए काम करने की बजाय गांव लौट कर मिट्टी रहित खेती करना ज्यादा सही समझा।
इसमें मिट्टी के स्थान पर नारियल के अवशेष का प्रयोग होता है और इसे छोटे-छाटे बैगों में डालकर पोली हाउस में सब्जी के पौधे उगाए जाते हैं।
अनुज ने बताया कि वे हर तीन साल बाद केरल से नारियल के अवशेष मंगवाते हैं। 05 किलो के बैग पर 30 रुपये खर्च आता है। इसमें खीरा, शिमला मिर्च, दो तरह के टमाटर, गोबी, मटर आदि सब्जियां उगाई जाती हैं।