पश्चिमी दिल्ली: अगर आप पढ़ाई करना चाहते हैं और पैसे नहीं हैं तो कम से कम भारती कॉलेज में आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। यहां पर हर छात्राओं की शिक्षा के लिए कॉलेज प्रशासन कई तरह की योजनाएं चला रहा है। इन्हीं योजनाओं में एक है लर्न एंड अर्न प्रोग्राम। इससे उन छात्राओं को मदद मिलती है, जिनके पास आगे की पढ़ाई के लिए आर्थिक तंगी आड़े आती है। कॉलेज प्रशासन का मानना है कि यहां छात्राओं के दाखिले के बाद उनके पढ़ाई की जिम्मेदारी पूरी तरह कॉलेज पर होता है।
प्रिंसिपल प्रमोदिनी वर्मा ने बताया कि लर्न एंड अर्न प्रोग्राम के तहत जो छात्राएं हिस्सा लेतीं हैं, उन्हें ऑफिस का कार्य कुछ समय के लिए करना पड़ता है। मसलन फाइलिंग, लाइब्रेरी में किताब को सजाना, किताब अन्य छात्राओं को देना। छात्राएं यह कार्य कॉलेज के खाली समय में करती हैं। इसका जो भी मेहनताना होता है वह कॉलेज की फीस में जमा कर दिया जाता है। पैसा छात्राओं के हाथ में नहीं दिया जाता है। लर्न एंड अर्न प्रोग्राम में हिस्सा ले रहीं छात्रा रूपम ने बताया कि इससे मुझे बहुत सहूलियत होती है। मेरे पास पढ़ाई के लिए पैसे नहीं थे। जब यहां दाखिला लिया था तो पैसे की समस्या से कॉलेज को अवगत कराया, तब कॉलेज ने इस प्रोग्राम के बारे में बताया। अब मैं अपने पैसे से पढ़ाई कर रही हूं।
सहायक प्रोफेसर डॉक्टर सुनीता ने बताया कि इसके अलावा कॉलेज में कई तरह के प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं। जो छात्र विकलांग हैं और पैसे की कमी है, तो उन्हें अध्यापक मदद करते हैं। कोई अध्यापक पूरे साल की फीस एक बार में ही जमा कर देते हैं तो कई किस्तों में दे रहे हैं। कॉलेज का मुख्य उद्देश्य यह है कि जो भी यहां दाखिला ले वह कम से कम पैसे के लिए चिंतित नहीं हो।
कॉलेज से करना पड़ता है संपर्क
जिस छात्राओं के माता-पिता पैसे देने में सक्षम नहीं हैं, वह सीधे कॉलेज प्रबंधन के पास जाकर अपनी मजबूरी बताते हैं। कॉलेज प्रबंधन स्कूल की फीस के लिए छात्राओं से खाली समय में ऑफिस के काम कराता है। इनके जो भी पैसे बनते हैं, उससे दस हजार रुपये कॉलेज की फीस, किताबें और ड्रेस खरीदकर उनको दिया जाता है।