कभी इस शख्स ने लंदन की सड़कों पर झाड़ू लगाई और छोटे मोटे काम करके पेट पाला। आज इसकी कंपनी 200 मिलयिन डॉलर का टर्नओवर देती है।
कीरीट पाठक की मैनुफैक्चरिंग कंपनी 'पाठक्स' दुनिया की सबसे बड़ी फूड कंपनियों से एक है जो ब्रिटेन के सभी भारतीय रेस्टोरेंट्स को अचार, चटनी और सालन मसाला सप्लाई करते हैं।
कीरीट पाठक के पिता एक साधारण गरीब किसान थे। पिता की मत्यु के बाद उनके दादा परिवार के साथ एक बेहतर जीवन की उम्मीद में केन्या चले गये। पाठक का परिवार केन्या के विरोधी शासन और माऊ माऊ के आंतकी हमलों से किसी तरह बचकर 1956 में लंदन भाग गया। उस वक्त उनके जेब में मात्र 500 रुपये थे। कीरीट उस समय छः वर्ष के थे।
लंदन में एल.जी.पाठक और उनकी पत्नी शांता ने किसी तरह गलियों में समोसे बेचकर केन्टिश टाउन के किराये का बंदोबस्त किया। पाठक ने अपनी पहली नौकरी गलियों में झाडु लगाकर शुरु की। उसके बाद कैमडिन की सड़को पर समोसा और मिठाई बेचा। शांता छः बाइ सात के किचन में मिठाई और नमकीन बनाती और सात साल के कीरीट उन्हें आसपास की गलियों में बेचते।
17 साल की उम्र में ही कीरीट ने अपने पिता के कारोबार को सम्भाल लिया था। कुछ ही समय में उन्होंने अपनी छोटी दुकान को बड़ी कंपनी में बदल दिया। आज वे ब्रिटेन के भारतीय रेस्टोरेंट्स को आचर, चटनी, करी मसाला, नान और जरुरी समान बनाकर और सप्लाई करते हैं। वे ब्रिटेन के ग्लोबल फूड ब्रांड्स में एकलौते है। आज कंपनी में 700 कर्मचारी हैं। 2007 में पाठक्स को ऐसोसियेटेड ब्रिटिश फूड्स ने 200 मिलियन में खरीद लिया।