पुरुषों को खुश करने की 400 साल पुरानी परंपरा

जापान में 400 साल पुरानी एक ऐसी कल्चर है जिसमें महिलाओं को अपने टैलेंट का प्रदर्शन पुरुषों को खुश करने के लिए करना पड़ता है। इसके बदले उन्हें पैसे मिलते हैं। ऐसा करने वाली महिलाओं को 'गीशा' कहते हैं और ये पुरुषों के सामने सज-धज का नाचती-गाती हैं। लेकिन इन महिलाओं के बारे में विचित्र बात ये है कि ज्यादातर पश्चिमी देशों के लोग इन्हें गलती से वेश्या समझ बैठते हैं। जबकि यह पूरी तरह गलत है।

स्पेनिश फोटोग्राफर ने झांका जिंदगी में
दरअसल विदेशी लोग इन महिलाओं को दूर से ही देख पाते हैं, क्योंकि उनके लिए महिलाएं कम ही उपलब्ध होती हैं। लेकिन एक स्पेनिश फोटोग्राफर जापान की 400 साल पुरानी परंपरा को निभा रही महिलाओं की जिंदगी में झांकने में कामयाब हो गए और उन्होंने इनके साथ काफी वक्त बिताया।

स्पेनिश फोटोग्राफर लुकास वैलेसिल्लोज ने अब इन महिलाओं की खूबसूरत फोटोज जारी की है। ये महिलाएं अपने पारंपरिक किमोनो नाम के ड्रेस में सजी हुई दिख रही हैं। ये महिलाएं अपने चेहरे पर मोटा व्हाइट मेकअप करती हैं, डार्क आईलाइनर लगाती हैं और होठों पर लाल लिपिस्टिक दिखाई पड़ते हैं। फोटोग्राफर लुकास को क्लाइंट के साथ इन महिलाओं की फोटोज लेने की भी इजाजत मिल गई।

पुरुषों को खुश करने की मिलती है ट्रेनिंग
कल्चर के मुताबिक 'गीशा हाउस' के लिए लड़कियों का चयन होने पर उन्हें कई साल तक पहले ट्रेनिंग दी जाती है। वहां पर एक महिला जिसे मां कहते हैं, लड़कियों को ट्रेनिंग देती है। गीशा हाउस में ही इन सबको रहना पड़ता है। कहते हैं कि ग्रेजुएशन पूरा करने और गीशा बनने से पहले इन महिलाओं को 'गेइको' कहा जाता है।
इन महिलाओं के लिए म्यूजिक, डांस और 'कस्टमर को खुश करने वाली बातचीत' सीखना अनिवार्य है। एक रिपोर्ट के मुताबिक ट्रेनिंग हासिल करके गीशा बनना आसान काम नहीं है, लेकिन महिलाओं के गीशा बनने को एक अचीवमेंट के तौर पर देखा जाता है और उन्हें 'काफी सम्मान' भी मिलता है।
ट्रेनिंग के दौरान महिलाओं को 'गीशा हाउस' के सारे काम भी करने पड़ते हैं और उन्हें बड़ों के प्रति पूरा सम्मान दिखाना पड़ता है। ज्यादातर महिलाएं कठिन ट्रेनिंग के कारण इसे बीच में ही छोड़ देती हैं।
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