मुंबई में साड़ियां बेचने आए थे, अब हैं 9000 करोड़ के मालिक | किशोर बियाणी

एक ओर रिलायंस अपने रिटेल काउंटर कम कर चुका है। बिड़ला ने कई 'मोर' घटा दिए हैं। वॉलमार्ट और भारती का करार टूट चुका है, जिससे यह दृश्य बनता है कि भारत में रिटेल के कारोबार में दिग्गज माने जाने वाले कार्पोरेट सफल नहीं हैं। आंकड़े भी यही कहते हैं। 

ऐसे में फ्यूचर ग्रुप और भारती ग्रुप मर्जर पर पूरे देश की निगाहें हैं। हाल ही में दोनों ग्रुप के बीच रिटेल बिज़नेस की डील हुई है। इस डील में फ्यूचर ग्रुप की ओर से किशोर बियाणी ने मुख्य भूमिका निभाई है। किशोर वर्तमान में फ्यूचर ग्रुप के सीईओ हैं। उनका जन्म मध्यमवर्गीय परिवार में राजस्थान में हुआ था। उनके दादा कभी राजस्थान से मुंबई में धोती और साड़ियां का बिज़नेस करने आए थे। मुंबई से महज 22 की उम्र में किशोर ने ट्राउजर बनाने का काम शुरू किया, जो चल निकला। आज उनकी कंपनी पैंटालून पूरी दुनिया में बिज़नेस कर रही है। और उनका टर्न ओवर 9000 करोड़ है।

लोगों के बीच जाकर जानते हैं ट्रेंड
किशोर को काम के अलावा कुछ सूझता नहीं है। यदि संयोग से क्रिकेट मैच देखने जाना हो तो पवेलियन की टिकट लेने की बजाय सस्ती टिकट लेते हैं। वे लोगों के टेस्ट को जानने के लिए भीड़ में जाकर बैठते हैं। कंज्यूमर की पसंद जानने के लिए हर कठिनाई झेल जाते हैं। वे लोगों की जरूरतों पर गौर कर समझ लेते हैं कि कंज्यूमर इसमें से कितना खर्च कर सकते हैं। आज भी अपने ही फ्रेंचाइजी स्टोर में जाकर बैठ जाते हैं और लोगों की खरीददारी का पैटर्न देखते रहते हैं।

बदलता ट्रेंड किया नोट
एक बदलता हुआ ट्रेंड जो किशोर ने नोट किया, वह यह कि छोटे शहरों में भी युवा आजकल जींस पहनकर मंदिर आदि में जाते हैं, जबकि पहले ऐसा नहीं था। कुछ नया करने का कौतुक शुरू से ही था। मलाबार हिल में रहने वाला ये परिवार मध्यमवर्गीय था। दादा राजस्थान के निम्बी से कारोबार के लिए मुंबई आए थे और यहां धोती और साड़ियां बेचते थे। 14- 15 की उम्र में ही किशोर मुंबई के सेंचुरी बाजार में जाने लगे थे। पढ़ाई में ज्यादा अच्छे नहीं थे। पिता और दो कजि़न के साथ काम करते थे, लेकिन उनके काम की अप्रोच किशोर को पसंद नहीं थी। तब खुद की मिल डालकर स्टोनवॉश बेचना शुरू किया। मुंबई की छोटी दुकानों पर वे इसे बेचते थे। तब उनके स्टोर को ट्रेड बॉडी में भी शामिल नहीं किया जाता था।

22 की उम्र में की शादी
22 के होते ही घर वालों ने राठी परिवार की संगीता से उनकी शादी कर दी। ट्राउजर का काम शुरू किया, यह चल निकला। 1987 तक नई कंपनी मैंस वियर प्रा. लि. शुरू की। इसमें कपड़े पैंटालून के नाम से बेचे जाते थे। यह नाम इसलिए चुना, क्योंकि यह ऊर्दू शब्द पतलून के करीब था। इसे चुनिंदा दुकानों पर ही बेचा जाता था। 1991 में गोवा में पेंटालून शॉप शुरू की और 1992 में शेयर बाजार से पैसा जुटाकर ब्रैंड खड़ा कर दिया। तब से यह लगातार बढ़ता ही जा रहा है।

कुछ ख़ास बातें
किशोर लक्ष्मीनारायण बियाणी (सीईओ, फ्यूचर ग्रुप)
जन्म: 9 अगस्त 1961
शिक्षा: एचआर कॉलेज ऑफ कॉमर्स मुंबई से डिग्री, मार्केटिंग मैनेजमेंट में पीजी डिप्लोमा
परिवार: पत्नी संगीता, बेटी अशनी, बेटा

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