पढ़िए मोदी की सफलता का मंत्र

युवाभास्कर डेस्क। एक सात साल की बच्ची, तीन साल के भाई को गोद में लेकर पहाड़ चढ़ रही थी। यह देखकर पहाड़ पर रहने वाले स्वामी ने पूछा कि तुम थकती नहीं? बच्ची ने जवाब दिया 'नहीं क्योंकि ये मेरा भाई है'।

तात्पर्य यह कि: जब अपनों के लिए काम करते हैं तो थकान नहीं होती और काम भी हमेशा सफल ही होता है। वो आपको बोझ नहीं लगता और उसे पूरा करने तक आपको थकान भी नहीं होती। भावनाओं से बड़ी कोई ताकत नहीं इसलिए अपने काम में भावनात्मक जुड़ाव लाए।

यह है भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी की सफलता का मंत्र जो उन्होंने रायपुर के एक स्कूल में बच्चों के सवाल का जवाब देते हुए दिया।

प्रधानमंत्री से एक बच्चे ने पूछा कि यदि वह राजनीति में नहीं होते तो क्या होते ? इस सवाल पर मोदी ने कहा कि यदि ईश्वर उन्हें एक वरदान देता तो वे मांगते कि उन्हें जीवन भर बच्चा बने रहने दिया जाए क्योंकि बच्चे बने रहने में बहुत आनंद है। मोदी ने बच्चों को नसीहत दी कि वे हर दिन अपना लक्ष्य न बदलें। उन्होंने कहा , ‘कभी कोई क्रिकेटर बनना चाहता है, कभी कोई एक्टर बनना चाहता है, कभी कोई कलेक्टर बनना चाहता है। अगर कुछ बनने का संकल्प है तो बनने के सपने मत देखो, करने के देखो।

तात्पर्य यह कि: अपने जीवन का लक्ष्य तय करने से पहले रिसर्च करें कि मुझे भगवान ने किस काम के लिए जन्म दिया है और जब एक बार आपके दिल की आवाज आपको बता दे तो उस लक्ष्य को पाने के लिए प्रयास शुरू कर दें, बिफलताएं आएं तो भी ना घबराएं, अपनी आत्मा की आवाज सुनें और जुटे रहें।

एक बच्चे ने प्रधानमंत्री से पूछा कि वह तनाव कम करने के लिए क्या करते हैं? मोदी ने कहा, ”मैं गिनता नहीं कि मैंने कितने घंटे काम किया? जब भी आप गिनने लगते हो कि आपने कितने घंटे काम किया, बस तभी से तनाव शुरू हो जाता है। होमवर्क तभी तक बोझ लगता है, जब तक पूरा न हो, जैसे ही पूरा होता है थकान अपने आप खत्म हो जाती है।”

एक छात्र से पूछा- किस घटना से प्रेरणा मिली? पीएम ने कहा- ज्यादातर ऐसा होता है, जब खुद के अनुभव से ज्यादा दूसरों के अनुभव आपको निखारते हैं ।

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