अस्थमा के कई कारक हो सकते हैं, लेकिन इनमें से कुछ ऎसे कारक है जो अस्थमा के मरीज को ज्यादा प्रभावित करते हैं-
प्रदूषण की मार
गाडियों से निकलने वाले धुएं में तीन हानिकारक रसायन होते हैं। इनमें हाइड्रोजन सल्फाइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड फेफड़ों में जाकर आंतरिक झिल्ली को कमजोर बनाते हैं व इसके काम को बाधित करते हैं। इसके अलावा तीसरा तत्व है कार्बन मोनो ऑक्साइड। यह रक्त में ऑक्सीजन की तुलना मे ढाई सौ गुना तेजी से फैलती है। इससे सांस फूलना, जीभ का नीला होना और सांस लेने में तकलीफ होती है।
कॉइल से भी खतरा
मच्छरों को मारने वाले कॉइल में ट्रांसफ्लुथ्रिन, पोटेशियम नाइट्रेट, डेनाटोनियम बेंजोट आदि कैमिकल होते हैं जो श्वास नली को संक्रमित करते हैं। एलर्जिक अस्थमा के रोगी इन कॉइल की गंध से गंभीर रूप से परेशान होते हैं। इनसे निकला धुआं मुंह की झिल्ली और फेफड़ों को धीरे-धीरे प्रभावित करता है।
जंकफूड से परेशानी
जंकफूड में मौजूद प्रिजर्वेटिव्स और आर्टिफिशियल रंग खाने के दौरान धीरे-धीरे सांस की नली में जमने लगते हैं और फेफड़ों के वायुकोष को ब्लॉक करने का काम शुरू कर देते हैं। इससे सांस में भारीपन और तकलीफ होने लगती है। परिणामस्वरूप जंकफूड व्यक्ति को धीरे-धीरे बीमार बना देता है।
प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष धूम्रपान
धूम्रपान करने और पैसिव स्मोकिंग (अप्रत्यक्ष रूप से शिकार होना) से अस्थमा के अलावा फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। सिगरेट या बीड़ी से निकलने वाले धुएं में ट्रांसएलेथ्रिन, कार्बन मोनो ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और रेडॉन डॉटर कैमिकल होते हैं जो नाक के रास्ते सांस नली को नुकसान पहुंचाते हुए फेफड़ों में भर जाते हैं।
अस्थमा रोग से जुड़े भ्रम
भ्रम : अस्थमा व एलर्जी दो अलग रोग हैं?
सच : एलर्जी, अस्थमा होने का एक कारण है। एलर्जी से अन्य तकलीफें जैसे एलर्जी राइनाईटिस, ब्रोंकाइटिस और डर्मेटाइटिस हो सकती हैं।
भ्रम : दूध व गेहूं से बनी चीजें न खाने से अस्थमा ठीक हो जाता है?
सच : खानपान की वजह से 1-2 प्रतिशत लोगों को ही अस्थमा हो सकता है। फूड एलर्जी टेस्ट के बिना किसी भी खाद्य पदार्थ को बंद नहीं करना चाहिए, इससे विशेषतौर पर बच्चों में कमजोरी आ जाती है।
भ्रम : अस्थमा में एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन जरूरी होता है?
सच : इसमें एंटीबायोटिक्स की जरूरत नहीं होती। कभी-कभी संक्रमण के लक्षण- बुखार, पीला बलगम आदि हों तो डॉक्टरी सलाह से एंटीबायोटिक दवाएं खाएं।
डॉ. एम. के. गुप्ता, एलर्जी एवं अस्थमा विशेषज्ञ, जयपुर