पहले यह माना जाता था कि कुछ काम पुरूष ही अच्छे कर सकते हैं, तो कुछ महिलाओं के बस के ही होते हैं लेकिन बदलाव का असर इस पहलू पर भी पडा है। पति के कई कामों को पत्नी बढिया तरीके से करती मिलती है, तो पति भी श्रीमती के काम को बडी सुघडता से करते नजर आ सकते हैं। हो सकता है शुरूआत में इस बदलाव का दोनों पक्षों ने तहेदिल से वेलकम नहीं किया हो, लेकिन इनको देखकर कतई ऎसा नहीं लगता है।
इंसान जब मुश्किलों से हारकर टूट जाता है, तब प्यार उसकी ऊर्जा बन उसे फिर से जीवित करता है। आपका सच्चा प्यार ऎसे वक्त में भी आपका साथ निभाता है, जब दुनिया आप पर नफरत व आलोचनाओं के तीर बरसाती है। अपने साथी का हौसला आपके लडखडाए कदमों को फिर से खडा होने की हिम्मत व दुनिया का सामना करने की ताकत देता है।
किचन में पति की उपस्थिति को सराहें। अगर उन्हें सलाद काटना, पूरियां तलना अच्छा लगता है। तो उनकी इस भावना की कद्र करें। कई महिलाएं किचन में पति की मौजूदगी पर दिक्कत होती है, उन्हें लगता है कि पति देव के किचन में रहने से किचन का सारा सामान बिखरेगा, काम कम और बातें ज्यादा होने लगेंगी। ऎसी सोच हमेशा सही नहीं है। यह जानने की कोशिश करें कि क्या आपके पति की किचन के कामों में वाकई रूचि है। तो संडे को किचन उनके हवाले कर दें। उनके हाथ से तैयार फ्राइड राइस और पनीर कोफ्ता आपकी पाक कला को भी मात दे सकते हैं।
इस बार शॉपिंग के लिए अकेले मत निकलें। डियर हसबैन्ड को भी साथ लेकर जाइए। आपको पता नहीं है कि आमतौर पर कंजूस समझे जानेवाले पुरूषों को शॉपिंग बेहद पसंद होती है। एक सर्वे क्षण में यह तथ्य उजागर हुआ है कि पुरूषों को भी खरीदारी करना खूब पसंद है। अगली बार बच्चों के कपडे या घर के परदे खरीदने के लिए अपने श्रीमान को भेजें। मार्केट भेजते समय अपने बारे में लाने को नहीं कहें, आपको निराश नहीं होना पडेगा। इस सर्वेक्षण के नतीजों के अनुसार लडकों को खुद से ज्यादा परिवारवालों के लिए शॉपिंग करना पसंद है।
कहीं घूमने बाहर जाने का प्लान बना रही हैं, तो सूटकेस पैक करने का काम हसबैंड को सौंपें। ऎसा माना जाता रहा है कि महिलाएं टूर पर जाते समय आवश्यकता से अधिक पैकिंग कर लेती हैं। लगभग60 प्रतिशत पुरूष इस बात को सही मानते हैं। वहीं 100 में से 40 महिलाएं भी यह स्वीकारती हैं कि अकसर शहर से बाहर जाते समय आवश्यकता से अधिक पैकिंग हो जाती है। इसका वजह यह है कि महिलाओं को दिनचर्या की हर वस्तु आवश्यक प्रतीत होती है। इसके विपरीत पुरूष केवल चुनिंदा और उपयोगी सामानों को ही गठरी में बांधन के आदी होते हैं।
आई एम द बेस्ट महिलाओं का मानना है कि पुरूष थोडे पैसे में घर नहीं चला सकते। करीब 40 प्रतिशत हाउसवाइफ पैसे के प्रबंधन में खुद को बेहतर मानती हैं। इन्हें लगता है कि होेम मिनिस्टर का खिताब इन्हें विरासत में मिला है। वहीं पुरूषों की इतनी ही संख्या पैसा खर्च करने के उनके तरीके को ज्यादा सही साबित करती है। मतलब साफ है कि खुद को बेहतर गृह प्रबंधक मानने के चक्कर में आपकी पतिदेव से ठनती रहेगी।
यह भी जान लेे जनाब कई बातों को ले कर महिलाएं और पुरूष दोनों अपने आपको बेस्ट समझते हैं। अगर समझदारी से काम ना लें, तो आने वाले समय में भी इस बात को लेकर आपस में तू-तू-मैं-मैं हो सकती है। भई, हमारा काम तो बस आपको पहले से बताना और आगाह करना है।
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