अहमदाबाद। गुजरात उच्च न्यायालय ने विवादास्पद धर्मगुरू आसाराम बापू के पुत्र नारायण साई को उनकी मां (आसाराम की पत्नी) के खराब स्वास्थ्य के कारण प्रस्तावित ऑपरेशन के मद्देनजर तीन हफ्ते की सशर्त अस्थाई जमानत दे दी। दुष्कर्म के एक मामले में दिसंबर 2013 से सूरत जेल में बंद साई की अर्जी पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति वी एम पंचोली ने अस्थायी जमानत मंजूर की।
अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि अगर साई की मां लक्ष्मीबेन का ऑपरेशन उन्हें जेल से रिहा किए जाने के चार दिन के भीतर नहीं होता है तो उन्हें तत्काल समर्पण करते हुए वापस जेल जाना होगा। मां की देखरेख के लिए रिहा होने वाले साई को उनके आश्रमों में जाने की इजाजत नहीं होगी। माना जा रहा है कि साई को मंगलवार को सूरत जेल से रिहा किया सकता है। रिहाई के दौरान भी वह कड़ी पुलिस निगरानी में रहेंगे।
ज्ञातव्य है सूरत की दो बहनों में से छोटी ने साई पर उससे 2002 से 2005 के बीच वहां के आश्रम में कई बार दुष्कर्म करने का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया था। बड़ी बहन ने आसाराम पर भी उसके साथ ऎसा ही कुकृत्य करने का आरोप लगाया था। इस मामले में साईं को फरारी के दौरान पकड़ा गया था जबकि एक अन्य नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में जोधपुर जेल में बंद आसाराम के खिलाफ यह मामला अलग से चल रहा है। ज्ञातव्य है कि साईं को अस्थायी जमानत ऎसे समय में मिली है जब आसाराम और उनके खिलाफ कई मामलों के गवाहों पर हमलों की पड़ताल भी जारी है।
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