खुद पर हावी न होने दे कलीग्स का स्ट्रेस

कुछ बातें ऐसी हैं, जिनके बारे में आपको मालूम तो है, लेकिन आप यह नहीं जानते कि यह बातें तेज़ी के साथ फैलती हैं। आज कुछ ऐसी ही बातों के बारे में बताया गया है, इनमें से कुछ रोचक और कुछ हैरान करने वाली हैं।

सोशल साइट्स से अकेलापन
सोशल नेटवर्किंग साइट्स (जैसे फेसबुक, वाट्सऐप) ने दोस्तों के साथ मिलाया तो हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। जो लोग सोशल साइट्स पर अधिक से अधिक समय व्यतीत करते हैं, उनकी जिंदगी में अकेलापन आ जाता है। जर्नल ऑफ पर्सनैलिटी एंड सोशल सायकोलॉजी में प्रकाशित खबर के अनुसार सोशल नेटवर्किंग साइट्स से अकेलापन बढ़ रहा है, क्योंकि अकेलेपन का शिकार लोग बाकी अकेले लोगों से जुड़ने का प्रयास करते हैं। इस संबंध कई खबरें आती रहती हैं कि लोगों को सोशल साइट्स के कारण बीमारियां और परेशानियां हो रही हैं। इनसे बचना आसान है। इंटरनेट बंद करिए, परिवार और दोस्त के साथ अधिक से अधिक समय बिताएं।
ऐसा करने पर अकेलेपन की शिकायत नहीं होगी और मानसिक तनाव घटेगा। फेसबुक और वाट्सएप जैसी साइट्स का उपयोग जितना कम करेंगे, सुखी जीवन के लिए उतना ही लाभदायक होता है। इन साइट्स की लत पड़ जाए तो व्यक्ति को कई प्रकार की मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अत: इनका उपयोग सावधानीपूर्वक करें या इनसे दूरी बनाए रखें।

सहकर्मी का दिन खराब है तो...
ऑफिस में काम करने वाले साथी का दिन खराब चल रहा है तो उसका असर भी आप पर दिख सकता है। जर्नल सोशल न्यूरोसाइंस में प्रकाशित शोध में यह बात पता चली है। इतना ही नहीं, लेकिन ऐसे व्यक्ति को देखते ही आपके स्ट्रैस हॉर्मोन तेज़ी से बढ़ने लगते हैं। इस समस्या से खुद को सुरक्षित रखने का एक तरीका है कि खुद को बार-बार कहिए कि मैं दूसरे व्यक्ति का स्ट्रैस का असर खुद पर बिल्कुल नहीं होने दूंगा।

दूसरों के पास जो है उसकी ख्वाहिश रखना
आप उस चीज़ की ख्वाहिश करते हैं जिसे खरीद नहीं सकते तो इसका मतलब है कि आप सही लोगों के साथ उठते-बैठते हैं। 2012 में जर्नल ऑफ न्यूरोसाइंस में प्रकाशित एक शोध के अनुसार लोगों को वह चीज़ ज्यादा पसंद आती है जो दूसरों के पास होती है। हमें क्या चाहिए इसमें हमारी पर्सनैलिटी महत्वपूर्ण किरदार निभाती है। दूसरों के साथ तुलना करना बंद करिए। इससे उनके पास जो चीज़ें हैं, उनके बारे में सोचना बंद कर देंगे।

दोस्तों के बारे में जीवन साथी से बात करना
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और ब्राउन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 2010 में बताया कि अगर आपके दोस्त का तलाक हो जाता है तो उसका असर आप पर भी पड़ता है। आपका तलाक होने की आशंका 75 फीसदी बढ़ जाती है। इससे सुरक्षित रहना आसान है। अपने दोस्त के बारे में आप जैसा सोच रहे हैं, उसका असर अपने रिश्ते पर न आने दें। न ही अपने जीवन साथी से इस बारे में कोई चर्चा करें।

जैसे उदासी फैलती है, वैसे ही फैलती हैं खुशियां भी
निगेटिव बातें जैसे तनाव, उदासी, अकेलापन तेज़ी से फैलने लगता है। उसी तरह से खुशियां भी तेज़ी से फैलती हैं। ऐसा फेसबुक के जरिए देखा गया है। प्लॉस वन के एक शोध के अनुसार अगर एक पॉजिटिव पोस्ट अपलोड होता है तो बाकी दोस्त भी वैसे ही पॉजिटिव पोस्ट अपलोड करते हैं। जबकि निगेटिव पोस्ट का जवाब भी निगेटिव ही होता है। इसलिए खुश रहने से बढ़ने लगेंगी खुशियां।


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