भारतीय ज्योतिष कहता है कि कुछ प्रतीकों के माध्यम से स्त्रियों के स्वभाव को पहचाना जा सकता है. भगवान शिव ने खुद मां पार्वती को तिलों का रहस्य बताया था. स्त्रियों के शरीर पर कुछ ऐसे ही चिह्न होते हैं जिनसे उनके व्यक्तित्व के बारे में काफी कुछ पता लगाया जा सकता है. आइए जानते हैं स्त्रियों के व्यक्तित्व के कुछ गुप्त रहस्य- बायां अंग- शुभ..... भौहों के मध्य- राज्यप्रद...... गाल- मिठाइयां और स्वादिष्ट भोजन प्राप्त होते हैं...... नाक पर तिल- राजपत्नी...... कान या गले पर तिल- प्रथम संतान पुत्र होता है.
पैर
चलने से पीछे से मार्ग में धूल उड़े वह कुलों को कलंकित करने वाली होती है.........
यदि किसी स्त्री की कनिष्ठा अंगुली भूमि का स्पर्श न करें तो वह एक पति को त्याग कर दूसरा विवाह करती है................
पैर का ऊपर वाला भाग ऊंचा, पसीनारहित, पुष्ट चिकना और कोमल हो तो वह रानी होती है...अगर विपरीत हो तो दरिद्रता आती है......
रोम सहित पैर का ऊपर का भाग या मांसहीन हो तो उसे अशुभ माना गया है.........
पैर का पिछला भाग यानी एड़ी समान हो तो शुभ माना गया है.............
नाभि गहरी, दाहिनी तरफ घूमी हुई हो तो सब सुख देने वाली मानी गई है.....
ऊपर को उठी हुई ग्रंथि तथा वामावर्त वाली नाभि अशुभ फल देने वाली होती है.
नाखून- लाल-चिकने- सुख मिलता है........ कटे-फटे- दुख मिलता है.
कमर- चौबीस अंगुल कमर और ऊंचा नितंब सौभाग्यदायक माना गया है.....अगर कमर टेढ़ी, चपटी, लंबी व मांसरहित हो, छोटी हो और रोमयुक्त हो तो अशुभ माना गया है और वैधव्य देने वाली होती है.
तलुआ- चिकने, मुलायम, सम हों- सुख भोगने वाली.......... कटे-फटे हुए- दुख देने वाले..........
शंख, स्वस्तिक, चक्र, कमल, ध्वज, मत्स्य या छाते के चिह्न- रानी और सुख भोगने वाली होती है ..........
सांप, चूहा व कौआ का चिह्न- दुख भोगने वाली और धनहीन होती है.
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