वेटलिफ्टर्स के कोचों पर दो साल का बैन क्यों लगा

नई दिल्ली. वेटलिफ्टिंग एसोसिएशन ने 8 वेटलिफ्टर्स के कोचों पर दो साल का प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। ये कोच पिछले कुछ महीने में अलग अलग चैम्पियनशिप में प्रतिबंधित दवाओं के सेवन के दोषी पाए गए थे। महासंघ ने चार राज्यों दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और मणिपुर के संघों पर भी एक साल का प्रतिबंध लगा दिया है चूंकि यहां से डोपिंग के सबसे ज्यादा मामले पकड़े गए हैं। इस साल की शुरुआत से अब तक 26 वेटलिफ्टिंग इवेंट्स में और उसके बाहर डोप टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए हैं। सबसे ज्यादा दोषी यमुनानगर में जनवरी में हुई नेशनल यूथ और वेटलिफ्टिंग चैम्पियनशिप में पकड़े गए।

भरना होगा जुर्माना
आईडब्ल्यूएफ महासचिव सहदेव यादव ने इस बारे में बताया, "आईडब्ल्यूएफ ने आठ कोचों पर दो साल का प्रतिबंध लगाया है, जबकि राज्यों पर एक साल का प्रतिबंध लगाया गया है।" यादव ने स्पष्ट किया कि भारोत्तोलकों पर प्रतिबंध की अवधि राष्ट्रीय डोपिंग निरोधक एजेंसी तय करेगी। उन्होंने कहा, "भारोत्तोलकों पर प्रतिबंध की अवधि का फैसला नाडा करेगा।" आईडब्ल्यूएफ की नीति के तहत प्रदेश ईकाइयों को डेढ़ लाख रुपए का जुर्माना भरना होगा, जबकि भारोत्तोलकों की ओर से 50000 रुपए अतिरिक्त जुर्माना देना होगा। यदि राज्य जुर्माने की रकम नहीं देते हैं तो भारोत्तोलक अगले एक साल तक किसी स्पर्धा में भाग नहीं ले सकेंगे।

ये कोचेज हैं शामिल
दिल्ली के तीन कोच रवि कुमार, एस के बक्षी और वीरेंद्र कुमार पर दो साल का प्रतिबंध लगाया गया है, जबकि दो मणिपुर से और मध्यप्रदेश, पंजाब और ओडिशा से एक-एक कोच हैं। राष्ट्रीय युवा और जूनियर चैम्पियनशिप के अलावा भारोत्तोलकों को यूनिवर्सिटी, पुलिस खेलों और रेलवे स्पर्धाओं में डोप टेस्ट में पॉजिटिव पाया गया। राष्ट्रीय युवा और जूनियर खेलों में दिल्ली के चार, पंजाब के तीन, हरियाणा और मणिपुर के दो-दो भारोत्तोलक पाजीटिव पाए गए थे।

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