हमारे समाज में कई मान्यताएं प्राचीन समय में चली आ रही हैं। इन्हें शकुन व अपशकुन से जोड़कर देखा जाता है। घर से निकलते समय छींक आना अपशकुन माना जाता है। छींक से जुड़ी ऐसी अनेक मान्यताएं हमारे समाज में प्रचलित हैं। चिकित्सा विज्ञान के नजरिए से छींक आना एक सामान्य मानवीय प्रक्रिया है।
हमारे समाज में छींक को शकुन-अपशकुन से जोड़कर देखा जाता है। बचपन में हम सभी ने देखा होगा कि जब किसी को छींक आती थी तो दादी मां छींक से जुड़े शकुन-अपशकुन के बारे में हमें बताती थी। आज हम आपको ऐसे ही छींक से जुड़े कुछ ऐसे ही शकुन-अपशकुन के बारे में बता रहे हैं, जो इस प्रकार है-
1. यदि घर से निकलते समय कोई सामने से छींकता है तो कार्य में बाधा आती है। अगर एक से अधिक बार छींकता है तो कार्य सरलता से हो जाता है।
2. यदि कोई व्यक्ति दिन के प्रथम प्रहर ( सुबह 6 से 9 बजे तक) में पूर्व दिशा की ओर छींक की ध्वनि सुनता है तो उसे अनेक कष्ट झेलने पड़ते हैं। दूसरे प्रहर ( सुबह 9 से दोपहर 12 बजे तक) में सुनता है तो शारीरिक कष्ट, तीसरे प्रहर ( दोपहर 12 से 3 बजे तक) में सुनता है तो दूसरे के द्वारा स्वादिष्ट भोजन की प्राप्ति और चौथे प्रहर (दोपहर 3 से शाम 6 बजे तक) में सुनता है तो किसी मित्र से मिलना होता है।
3. शकुन शास्त्र के अनुसार किसी प्रवासी (कोई मित्र या रिश्तेदार) के जाते समय कोई उसके बांई ओर छींकता है तो यह अशुभ संकेत है। अगर जरूरी न हो तो ऐसी यात्रा टाल देनी चाहिए।
4. कोई वस्तु खरीदते समय यदि छींक आ जाए तो खरीदी गई वस्तु से लाभ होता है।
5. सोने से पहले और जागने के तुरंत बाद छींक की ध्वनि सुनना अशुभ माना जाता है।
6. नए मकान में प्रवेश करते समय यदि छींक सुनाई दे तो प्रवेश स्थगित कर देना ही उचित होता है या फिर किसी योग्य ब्राह्मण से इसके बारे में विचार कर ही घर में प्रवेश करना चाहिए।
7. व्यापार आरंभ करने से पहले छींक आना व्यापार में सफलता का सूचक है।
8. कोई मरीज यदि दवा ले रहा हो और छींक आ जाए तो वह शीघ्र ही ठीक हो जाता है।
9. धार्मिक अनुष्ठान या यज्ञादि प्रारंभ करते समय कोई छींकता है तो अनुष्ठान पूरा होने में समस्याएं आती हैं।
10. शकुन शास्त्र के अनुसार भोजन करने से पहले छींक की ध्वनि सुनना अशुभ माना जाता है।
11. यदि घर से निकलते समय कोई सामने से छींकता है तो कार्य में बाधा आती है, लेकिन एक से अधिक बार छींकता है तो काम आसानी से पूरा हो जाता है।
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