पढ़िए साधू, कुत्ता और बंदर की धर्मकथा

इंदौर/कसरावद। बंदर व कुत्ते की दोस्ती की कहानी आपने फिल्मों में जरूर देखी होगी लेकिन हकीकत में उसे देखना है तो नर्मदा किनारे नावड़ातौड़ी स्थित शालीवाहन मंदिर आइए।

भिवानी (हरियाणा) के संत पवनगिरि महाराज गुजरात में तप करके यहां नर्मदा परिक्रमा करते हुए आए हैं। फिलहाल वे शालीवाहन आश्रम में ठहरे हैं। उनके साथ कुत्ता व बंदर भी परिक्रमा पर हैं। संत सात साल से मौन धारण किए हुए हैं।

तीनों का तप, ध्यान व स्नान अनूठा है। कुत्ते की पीठ पर बैठकर बंदर नर्मदा स्नान के लिए जाता है। नर्मदा में कुत्ते की पीठ पर बैठकर ही स्नान करता है। इतना ही नहीं, कलश में जल भरकर आश्रम लाता है और आचमन भी करता है।

मौन तपस्वी के साथ दोनों दो अलग स्वभाव के प्राणी दिनचर्या में व्यस्त रहते हैं। लोगों के लिए यह कौतुहल का विषय है।

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