फैशन वर्ल्ड मे जिस्म पर महेंदी भी बना स्टाइल आइकॉन

फैशन के इस बिंदास दौर में आजकल वैसे भी बहुत कुछ तेजी से बदलते के कारण मेहंदी के रंग भी अब बहुरंगे हो गए है। मेहंदी प्रतिष्ठित उद्योग घरानों का बहुमूल्य प्रोडक्ट बन गई है। कृत्रिम घटकों के सम्मिश्रण तथा केमिकल्स के घालमेल ने साधाराण हिना को बेशकीमती बना दिया है। वह दिन अब दिन हवा हो गए जब बुजुर्ग महिलाएं कई कई घंटों तक मेहंदी की घुटाईपिसाई में वक्त बरबाद करती थीं।अब तो फटाफट का जमाना है।

यद्यपि दुनिया भर में मेहंदी का चलन कई सदियों से हो रहा है लेकिन अब इसे बेचने में कलाकारी नहीं बल्कि कारपोरेट जगत की कलाबाजी भी शामिल हो गई है। इसलिए सींक या बांस की खपच्ची से मेहंदी रचाना अब गुजरे जमाने की बात हो चुकी है। 

हाथों में मेहंदी रचाने की कई शैलियां हैं जैसे गणगौर और हरियाली तीज जैसे उत्सवों पर तो मेहंदी की रौनक बस, देखते ही बनती है। 

फैशन के नए दौर से अब यह पारंपरिक श्रंृगार की शैली भी अछूती नहीं है और अब आधुनिक परिवेश में महिलाओं को मेहंदी के टैटू काफी पसंद आ रहे हैं। बिलकुल गोदने जैस दिखने वाले इन टैटुओं की आकृति अस्थायी होती हैं, वहीं टैटुओं की आकृतियां हजारों रूपों में आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं। 

अब यह मान लेना चाहिए कि टैटू की आकृतियों में दूसरों को अपनी ओर आकर्षित करने की पर्याप्त क्षमता है और मेहंदी के फैशन का चित्रांकन टैटू के रूप में परंपरा का हिस्सा बन गया है।

अब इस के लिए रेडीमेड प्लास्टिक के कोनों को इस्तेमाल होने लगा है, जिस से डिजाइनों को सही आकार देने के लिए साथ-साथ समय की भी बचत होती है। कला जब व्याससायिकता का चोला पहन लेती है तो बहुत कुछ बदल जाता है। मेहंदी के रंग को ज्यादा सुर्ख और गूढ बनाने के लिए अब मेहंदी में चायपत्ती, कत्था तथा केमिकालों का प्रयोग भी होने लगा है। 


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