अक्सर लोगों के मन में यह दुविधा रहती है कि दही किस मौसम में खाएं, कब खाएं और किस रोग में न खाएं। आयुर्वेद की चरक संहिता में दही के लिए "दधी: कल्पतरू:" लिखा गया है यानी दही खाना कल्पतरू के समान है जिससे शरीर के सारे रोग नष्ट हो जाते हैं। इसलिए दही परोसते समय इन बातों का ध्यान रखें-
इस मौसम में खाएं
आयुर्वेद विशेषज्ञ वैद्य पदम जैन के अनुसार हालांकि आम धारणा बारिश के मौसम में दही को नहीं खाने की है लेकिन 16वीं शताब्दी के वनौषधि ग्रंथ "भावप्रकाश" में दही को बारिश और गर्मी में खाना उपयोगी बताया गया है। सर्दी में खाने की मनाही है। दही ठंडा और भारी होता है इसलिए शीत ऋतु में खाने से मांसपेशियों व नसों में रूकावट आकर नर्व सिस्टम व चेतना कमजोर होने लगती है जिससे व्यक्ति में थकान, निद्रा और आलस जैसे लक्षण होने लगते हैं।
डिनर में न लें
आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. रमाकांत शर्मा के अनुसार दोपहर में 2-3 बजे से पहले दही खाना लाभकारी है। डिनर में लेने से यह फेफड़ों में संक्रमण, खांसी-जुकाम के अलावा जोड़ों की तकलीफ बढ़ाता है।
इन रोगों में लाभकारी
इसे खाली पेट सुबह के समय खाने से अल्सर, एसिडिटी, हाथ-पैरो के दर्द, नेत्र जलन व आंतों के रोगों में आराम मिलता है। एक समय में 250 ग्राम दही खाया जा सकता है।
ऎसे करें प्रयोग
जिन्हें शरीर में कमजोरी, वजन न बढ़ने, अपच या भूख न लगने की समस्या हो उन्हें भोजन के बाद एक कटोरी मीठा दही खाना चाहिए। दही को दूध व दूध से बनी चीजों के साथ न खाएं वर्ना अपच की समस्या हो सकती है।
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