आपने देखा होगा कि लोग पूजा स्थान में अथवा किसी शुभ अवसर पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाते है पर क्या आपने कभी इस बात पर गौर करने की कोशिश की है कि आखिर ऎसा क्यों किया जाता है। स्वास्तिक चिन्ह को शांती का प्रतीक माना जाता है और शुभ कार्य में इसका होना सफलता का संकेत होता है। जानिए आखिर क्या छुपा है इस चिन्ह में
आपने देखा होगा कि लोग पूजा स्थान में अथवा किसी शुभ अवसर पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाते हैं। इसके पीछे मान्यता है कि स्वास्तिक चिन्ह शुभ और लाभ में वृद्धि करने वाला होता है।
वास्तुशास्त्र के अनुसार स्वास्तिक का संबंध असल में वास्तु से है। इसकी बनावट ऎसी होती है कि यह हर दिशा में एक जैसा दिखता है। अपनी बनावट की इसी खूबी के कारण यह घर में मौजूद हर प्रकार के वास्तुदोष को कम करने में सहायक होता है।
शास्त्रों में स्वास्तिक को विष्णु का आसन एवं लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। चंदन, कुमकुम अथवा सिंदूर से बना स्वास्तिक ग्रह दोषों को दूर करने वाला होता है और यह धन कारक योग बनाता है।
वास्तुशास्त्र के अनुसार अष्टधातु का स्वास्तिक मुख्य द्वार के पूर्व दिशा में रखने से सुख समृद्घि में वृद्धि होती है।
Importance of swastik , meaning of swastik , astro mantra