नई दिल्ली. पूर्व भारतीय कप्तान रवि शास्त्री बांग्लादेश दौरे के लिए टीम इंडिया के अंतरिम कोच होंगे। बीसीसीआई सचिव अनुराग ठाकुर के मुताबिक, बोर्ड में इनके नाम पर सहमति बन गई है। गौरतलब है कि ऑस्ट्रेलिया दौरे और वर्ल्ड कप 2015 के दौरान शास्त्री टीम इंडिया के कोचिंग डायरेक्टर रह चुके हैं।
टीम इंडिया को 8 साल बाद इंडियन कोच मिला है। इससे पहले 2007 में भी रवि शास्त्री बांग्लादेश दौरे के लिए टीम इंडिया के अंतरिम कोच बनाए गए थे। 2007 में टीम इंडिया वर्ल्ड कप से बाहर हो गई थी। तब कोच ग्रेग चैपल ने इस्तीफा दे दिया था। शास्त्री से टीम को गाइड करने के लिए बांग्लादेश जाने को कहा गया था। आखिरी बार फुलटाइम इंडियन कोच कपिल देव रहे जो 1999-2000 में टीम से जुड़े थे। उनके बाद जॉन राइट कोच बने। कोच और सौरव की जोड़ी के दौरान टीम का प्रदर्शन शानदार रहा। राइट के बाद चैपल से लेकर गैरी कर्स्टन और डंकन फ्लेचर तक टीम को विदेशी कोच ही मिले।
स्थायी कोच पर फैसला अभी नहीं
सोमवार को सचिन तेंडुलकर, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण को BCCI का एडवाइजर बनाए जाने के बाद से ही रवि शास्त्री की भूमिका पर बात होने लगी थी। टीम इंडिया का स्थायी कोच कौन होगा, इस बात पर अभी कोई फैसला नहीं लिया जा सका है। संजय बांगड़ बैटिंग कोच और भारत अरुण बॉलिंग कोच बने रहेंगे।
क्यों कारगर साबित हो सकते हैं शास्त्री
- रवि शास्त्री वर्ल्ड कप के दौरान अपनी प्रतिभा साबित कर चुके हैं। इस टूर्नामेंट से पहले ऑस्ट्रेलिया दौरे पर टीम इंडिया एक मैच भी नहीं जीत सकी थी। इसके बाद शास्त्री ने मुख्य भूमिका निभाते हुए टीम इंडिया के हर खिलाड़ी से अलग-अलग बातकर उनकी कमजोरियां दूर कीं। एक भारतीय होने के नाते वे हर खिलाड़ी को अच्छी तरह समझते हैं।
- 80 टेस्ट मैच और 150 वनडे का अनुभव होने के कारण हर परिस्थिति को समझने में सक्षम।
श्रीनिवासन खेमे के माने जाते हैं शास्त्री
रवि शास्त्री अपने एक बयान की वजह से पूर्व बोर्ड प्रमुख एन श्रीनिवासन के खेमे के माने जाते हैं। आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग मामला सामने आने के बाद शास्त्री ने कहा था कि श्रीनिवासन अच्छे प्रशासक हैं। उनका क्रिकेट में बड़ा योगदान है।
दूसरी टीमों में क्या है कोच को लेकर ट्रेंड?
क्रिकेट वर्ल्ड की बाकी टीमें में पिछले कुछ सालों में कोच को लेकर नया ट्रेंड दिखा है। टीम इंडिया के कोच पद से हटने के बाद कपिल देव ने एक बार टिप्पणी की थी कि अगर कोच आपके ही देश का, आपकी क्षमताएं, बोली और मिजाज समझने वाला हो तो ऐसा कल्चरल कनेक्ट तैयार हो जाता है जिससे परफॉर्मेंस बेहतर करने में मदद मिलती है।
1. इंडिया : टीम के परफॉर्मेंस में कोच की उम्र का असर भी दिखता है। फ्लेचर के मुकाबले टीम इंडिया के कोच गैरी कर्स्टन युवा थे। उनके नेतृत्व में टीम ने 2011 का वर्ल्ड कप जीता। टीम आईसीसी रैंकिंग में लंबे समय तक पहले नंबर पर रही। कर्स्टन का टीम इंडिया के साथ एसोसिएशन इतना शानदार रहा कि इससे प्रेरित होकर हालिया वर्ल्ड कप के दौरान साउथ अफ्रीका ने भी टीम को गाइड करने के लिए कर्स्टन को बुला लिया।
2. पाकिस्तान : इस टीम ने भी कई विदेशी कोच रखकर प्रयोग किए लेकिन बाद में अपने ही देश के पूर्व खिलाड़ी वकार यूनुस को जिम्मेदारी सौंपी। यूनुस पिछले कोचों की तुलना में कम उम्र के हैं। उन्हें टीम के साथ कम्युनिकेशन में दिक्कत नहीं थी।
3. ऑस्ट्रेलिया : इसी तरह ऑस्ट्रेलिया ने जब हालिया वर्ल्ड कप जीता तो इसका श्रेय देश के ही खिलाड़ी रहे डेरन लेहमैन को गया। लेहमैन ने काफी मॉर्डन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर टीम की परफॉर्मेंस में सुधार किया।
4. वेस्ट इंडीज : इस टीम के भी अलग-अलग कोच रहे लेकिन बाद में वेस्ट इंडीज के लिए ही खेल चुके पूर्व ऑलराउंडर फिल सिमन्स को कोच बनाया गया। सिमन्स वर्ल्ड कप के दौरान आयरलैंड के कोच थे। आयरलैंड ने इंडीज को चार विकेट से हराकर चौंका दिया था। इसी के बाद इंडीज बोर्ड ने सिमन्स से संपर्क किया।
Director of Indian team , ravishastri team india director