कॉलड्राप होते ही जुर्माना मिलेगा आपको

मोबाइल फोन पर बात करते समय यदि अचानक बातचीत रूक (कॉल ड्रॉप) जाती है तो संबंधित कंपनी को इसकी भरपाई करनी पड़ सकती है। ऐसी योजना अगस्त से शुरू करने की तैयारी चल रही है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक अगस्त से कॉल ड्रॉप होने पर मोबाइल ऑपरेटर बैलेंस के रूप में इसकी भरपाई करेगा। इस प्रोजेक्ट पर तीन महीने से ट्रायल चल रहा था, जो अब पूरा कर लिया गया है। दूरसंचार विभाग (डीओटी) में ऐसे उपकरण लगाए गए हैं, जिनसे देश के हर मोबाइल सर्कल की निगरानी हो सकेगी। इस तकनीक से पता चल जाएगा कि कब, कहां और किस नंबर पर कॉल ड्रॉप हुआ है।

नई व्यवस्था लागू होने के बाद यदि ड्रॉप होता है तो जितने सेकंड या मिनट के पैसे बैलेंस से कटेंगे उतना पैसा आपके खाते में आ जाएगा। यह रकम बैलेंस में हफ्ते में एक बार जुड़ेगी। बैलेंस में जुड़ने वाली राशि कॉल ड्रॉप के बाद कंपनियों पर लगाए गए जुर्माने से मिलेगी।

ट्राई के मानक
दूरसंचार नियामक ट्राई के मानकों के मुताबिक कॉल ड्रॉप रेट दो फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए। लेकिन, देश में औसतन हर 4-5 कॉल के बाद एक कॉल ड्रॉप हो रहा है। कॉल ड्रॅाप की घटनाएं 3 से लेकर 14 फीसदी तक पहुंच गई हैं। थ्री जी सर्विस में कॉल ड्रॉप की तादाद इससे भी ज्यादा है।

बात कुछ सेकंड, पैसा पूरे मिनट का
एक मोबाइल उपभोक्ता हर माह औसतन 400 मिनट कॉल करता है। इस तरह एक साल में लगभग 4500 मिनट की कॉल होती है। रिपोर्ट के मुताबिक हर चौथा या पांचवां कॉल कुछ सेकंड की बातचीत में कट जाता है, लेकिन टेलीकॉम कंपनियां पूरे मिनट का पैसा वसूलती हैं। इस वजह से उन्हें हर साल करोड़ों रुपए का नाजायज फायदा होता है।

तीन घंटे में भरपाई
डीओटी के अधिकारियों ने बताया कि मोबाइल कंपनी को कॉल ड्रॉप होने के तीन घंटे के भीतर ग्राहक के ट्राई में रजिस्टर्ड खाते में पैसा डालना होगा। सरकार ने इसकी निगरानी के लिए भी व्यवस्था की है। दूरसंचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद के हवाले से बताया गया है कि कॉल ड्रॉप से हर साल ग्राहकों को करोड़ों रुपए का नुकसान होता है। नई व्यवस्था से उन्हें राहत मिलेगी।

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