सहारा के मरुस्थल में एक अनोखी जनजाति रहती है। ये जनजाति है तो इस्लामिक, लेकिन इनके रिवाज और तौर-तरीके बाकी दुनिया से बिल्कुल अलग हैं। यहां महिलाओं को शादी के बाद भी दूसरे मर्दों से सेक्शुअल संबंध रखने की आजादी होती है। महिलाएं आमतौर पर बुर्का भी नहीं पहनती और तलाक होने पर सारी संपत्ति खुद ही रख लेती है।
कई सौ साल पुरानी इन जनजातियों को तुआरेग के नाम से जाना जाता है। एक आम समाज के उलट यहां महिलाएं ही ज्यादतर चीजें तय करती हैं यानी राज उन्हीं का होता है। यहां तलाक के बाद लड़कियों को पेरेंट्स की ओर से पार्टी देने का भी चलन है।
इन जनजातियों के पुरुष कई बार चेहरा ढक के आते-जाते हैं। फोटोग्राफर हेनरीटा बटलर ने पहली बार इस जनजाति को 2001 में देखा था। उन्होंने इनकी जिंदगी के साथ कुछ वक्त बिताया और फोटोज क्लिक किए। भले ही ये लोग इस्लाम से ताल्लुक रखते हों, लेकिन यह साफ है ज्यादातर इस्लामिक समाज में इन्हें मान्यता नहीं दी जाएगी। इन क्षेत्रों में इस्लाम के बढ़ते प्रभाव की वजह से कुछ रिपोर्टों में डर जाहिर किया गया है कि इन पर दबाव बनाया जा सकता है।
यहां शादी से पहले भी महिलाएं जितने चाहें उतने ब्वॉयफ्रेंड रखती हैं। कहते हैं कि जनजाति टेंटों में रहती हैं और अक्सर रात के वक्त लड़के गर्लफ्रेंड के टेंट में आते हैं और लड़की के साथ सोते हैं। इस दौरान परिवार के अन्य सदस्य ऐसे बर्ताव करते हैं जैसे उन्हें कुछ मालूम ही नहीं। फिर सुबह होने से पहले मर्द टेंट से चले जाते हैं। इतना ही नहीं, ऐसा भी होता है कि अगले दिन लड़की किसी और मर्द के साथ रात बिताने का फैसला कर ले।
फोटोग्राफर बटलर का कहना है कि इस जनजाति के लोग काफी विनम्र होते हैं और हर काम पूरी चतुराई के साथ करते हैं। यहां की लड़कियां करीब 20 साल की उम्र में शादी करती हैं।