ड्रायवर की गलती के लिए एप जिम्मेदार नहीं: हाईकोर्ट

नई दिल्‍ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को कहा है कि वह एप आधारित कैब सेवाओं से प्रतिबंध हटा ले, साथ ही कहा कि इन कंपनियों को कैब चालकों की गैर कानूनी हरकतों के लिए जिम्‍मेदार नहीं ठहराया जा सकता। हाईकोर्ट ने एप आधारित टैक्सी सेवा प्रदाता ओला कैब्स से भी कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में सिर्फ सीएनजी से चलने वाली कैब को ही अनुमति दी जाएगी।

हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति मनमोहन की खंडपीठ ने कहा कि अगर अखिल भारतीय परमिट गलत व्यक्ति को दिया जाता है तो उसे (ओला) जिम्‍मेदार नहीं ठहराया जाए। यदि किसी अपराधी को परमिट दिया गया है तो आप उस (ओला) पर बोझ नहीं डाल सकते। इसकी जिम्‍मेदारी सरकार और पुलिस को लेनी होगी परंतु सीएनजी संबंधी जरूरतों को पूरा करना होगा।

अदालत ने कहा कि सरकार की नीति तकनीक में बदलाव के मुताबिक नहीं है और सरकार दिखाए कि ऐसी कंपनियां योजना के तहत आती हैं। मामले की अगली सुनवाई 27 जुलाई को होगी। खंडपीठ ने कहा कि अगर दिल्ली में एक स्थान से दूसरे स्थान के लिए चलना है तो कैब को सीएनजी से चलाना होगा। आपके प्रतिस्पर्धी सीएनजी से चलते हैं तो फिर आप कैसे डीजल से चला सकते हैं? सीएनजी से चलाएं या फिर बिल्कुल मत चलाएं।

खंडपीठ ने दिल्ली सरकार को सुझाव दिया कि ऐसी सेवा प्रदाताओं से प्रतिबंध हटाया जाए क्योंकि उनकी तकनीक पूरी दुनिया में काम कर रही है और उपभोक्ताओं के लिए वरदान है। इसलिए सरकार इन कपंनियों की अर्जी पर नए सिरे से विचार करें ताकि यह अपनी सेवाएं दे सकें।

एप आधारित कैब सेवाओं के फायदों का जिक्र करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि इस तकनीक के तहत चल रहे वाहनों को सीएनजी से चलना होगा। हाईकोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया अदालत इस तरीके से दिल्ली में चलने वाले डीजल वाहनों की इजाजत नहीं देने जा रही है क्योंकि शहर में प्रदूषण का स्तर बढ़ा हुआ है।

अदालत ओला ब्रांड से सेवा प्रदान करने वाली एएनआई टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में कंपनी ने कहा कि वह दिल्ली सरकार की ओर से हाल ही में संशोधित की गई रेडियो टैक्सी योजना के प्रति उत्तरदायी नहीं है क्योंकि कैब को पहले से अखिल भारतीय परमिट मिला हुआ है।

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