नई दिल्ली। ओहदा बड़ा है तो खर्चे भी बड़े होना लाजमी है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी हर महीने फोन का बिल करीब 5 लाख रूपए चुकाते हैं। जोगेश्वरी निवासी मंसूर दरवेश की लगाई आरटीआई पर मिले जवाब से यह खुलासा हुआ है। मंसूर ने जून में आरटीआई के तहत राष्ट्रपति भवन के रखरखाव में आने वाले खर्च और वहां कार्यरत कर्मचारियों का ब्यौरा मांगा था।
इस जवाब के मुताबिक राष्ट्रपति के सचिवालय, स्टाफ, हाउसहोल्ड और राष्ट्रपति को मिलने वाले अलाउंसिस पर वित्तीय वर्ष 2012-13, 2013-14, 2014-15 में क्रमश: 30.96 करोड़, 38.70 करोड़ और 41.96 करोड़ रूपए खर्च किए गए हैं। जवाब में यह भी बताया गया कि राष्ट्रपति भवन में कुल 754 कर्मचारी कार्यरत हैं। इनमें 9 निजी सचिव, 27 ड्राइवर्स, 64 सफाइवाले और 8 टेलीफोन ऑपरेटर्स भी शामिल हैं। मई माह में 1.52 करोड़ रूपए इन तमाम कर्मचारियों को वेतन देने में खर्च किए गए।
इसी तरह मई माह में टेलीफोन का कुल बिल 5.06 लाख रूपए चुकाया गया, जबकि अप्रेल और मार्च माह में यह क्रमश: 5.06 लाख और 4.25 लाख रूपए चुकाया गया था। इसके अलावा राष्ट्रपति भवन में आने वाले वीवीआईपी मेहमानों पर किए गए खर्च के सवाल पर जवाब मिला, "इसके लिए अलग से अकाउंट मेनटेन नहीं किया जाता। यह खर्च सचिवायल के हाउसहोल्स सेक्शन के लिए अलॉट होने वाले सालाना बजट में से ही किया जाता है।"
आरटीआई लगाने वाले मंसूर का दावा है कि बिजली और सिक्यॉरिटी स्टाफ पर किए गए खर्च का ब्यौरा उन्हें नहीं दिया गया। मंसूर के कैलकुलेशन के मुताबिक राष्ट्रपति भवन पर सालाना 100 करोड़ से ज्यादा खर्च किए जाते हैं।
यह आरटीआई लगाने के पीछे कारण के बारे में मंसूर ने बताया, "भारतीय नागरिक होने के नाते मेरा यह जानने का अधिकार है कि राष्ट्रपति भवन के रखरखाव में सालाना कितना खर्च किया जा रहा है। यह खर्च हर साल बढ़ जाता है। इस सूची में सारे खर्च शामिल नहीं किए गए हैं, लेकिन मुझे पूरा यकीन है कि यह खर्च सालाना 100 करोड़ रूपए से ज्यादा होता है।"