लिव-इन रिश्ते कोई अपराध नहीं: सुप्रीम कोर्ट

अमित आनंद चौधरी/नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि लिव-इन रिश्ते अब समाज में स्वीकार किए जाने लगे हैं और इन्हें अपराध करार नहीं दिया जा सकता। जस्टिस दीपक मिश्र और जस्टिस प्रफुल्ल सी. पंत की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, 'नए जमाने में समाज ने इस तरह के रिश्तों को अपना लिया है। यह कोई अपराध नहीं है।'

उन्होंने सरकार से यह भी पूछा कि क्या किसी सार्वजनिक जीवन से जुड़े व्यक्ति के लिव-इन रिश्तों को सार्वजनिक करने से उसकी मानहानि होगी। अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कोर्ट के इस सवाल के जवाब में कहा कि पब्लिक को सार्वजिनक जीवन से जुड़े लोगों के निजी जीवन में ताका-झांकी नही करनी चाहिए और ऐसा करना कोई जनहित का काम नहीं है।

इस मामले में याचिकाकर्ता ने मानहानि के आपराधिक कानून को खारिज किए जाने की मांग की है। इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि ऐसा करने से समाज में अराजकता की स्थिति पैदा हो जाएगी।


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