उत्तर प्रदेश (UP) : देश में अब तक अमूमन हर योजना और हर तरह के कार्यालय से छोटे-बड़े घोटाले की खबर आ चुकी है. लेकिन घोटालों की लंबी होती फेहरिस्त में नया कमाल उत्तर प्रदेश ने किया है. यहां चंद सिक्कों की खनक के लिए 'मां की कोख' का ही घोटाला हो गया. जननी सुरक्षा योजना का लाभ पाने के लिए यहां कागजों पर अधिकारियों ने एक ही महिला को चार महीने में तीन बार 'गर्भवती' बना दिया है.
एक ताजा ऑडिट इस बाबत कई खुलासे हुए हैं. जननी सुरक्षा योजना के तहत मां बनने पर महिला को सरकार की तरफ से अच्छा और पौष्टिक भोजन करने के लिए कुछ राशि दी जाती है. लेकिन इस देश में अधिकारियों और कर्मचारियों के पेट को पौष्टिक आहार मिले शायद यह ज्यादा जरूरी हो जाता है. ऑडिट के बाद जो जानकारी निकलकर आई है, उसमें गड़बड़झाले का आलम यह है कि यहां एक ऐसी महिला को योजना के तहत 1400 रुपये का भुगतान कर दिया, जो बीते 12 वर्षों से मां नहीं बनी है.
मातृत्व का मजाक
डिजिटल इंडिया के सपने और खोखली होती योजनाओं की असलियत की बानगी यह है कि स्वास्थ्य विभाग बहराइच में एक 60 साल की महिला को पांच महीने में 10 बार गर्भवती करार देता है. हालांकि मामले में अब जांच शुरू हो गई है और यह ढूंढ़ा जा रहा है कि योजना को लागू करने के लिए पहली जिम्मेदारी किसकी बनती है.
जांच से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि यूपी में इस ओर बहुत बड़े स्तर पर घोटाला हुआ है. शुरुआती जांच में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारी संदेह की जद में हैं. यही कर्मचारी गांव में मां बनने वाली औरतों को योजना के तहत 1400 रुपये का भुगतान करते हैं. समझा जा रहा है कि कागजों पर लंबी फेहरिस्त तैयार कर कर्मचारी इनमें दर्ज औरतों को थोड़ी राशि देकर बाकी खुद गटक जाते हैं.
पांच कर्मचारी निलंबित
जानकारी में मुताबिक, अकेले बहराइच जिल के बाउंदी स्वस्थ्य केंद्र में ऐसे 200 मामलों का खुलासा हुआ है. मामले में जिलाधिकारी ने तत्काल कार्रवाई करते हुए पांच कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है और जांच के आदेश दिए गए हैं.
गौरतलबत है कि जननी सुरक्षा योजना 2005 में शुरू की गई. राज्य के स्वास्थ्य विभाग के एडिशनल डायरेक्टर डॉ. सुबोध शर्मा ने कहा, 'मैंने रिकॉर्ड्स की जांच की है और बैंक के रिपोर्ट का इंतजार है. रिपोर्ट मिलने के बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.'
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