अहमदाबाद। जरा सोचिए, अपनी विवशताओं की वजह से थक-हारकर अपने ही बेटे के लिए इच्छामृत्यु की गुजारिश करना कितना दर्दनाक हो सकता है। अहमदाबा...
अहमदाबाद। जरा सोचिए, अपनी विवशताओं की वजह से थक-हारकर अपने ही बेटे के लिए इच्छामृत्यु की गुजारिश करना कितना दर्दनाक हो सकता है। अहमदाबाद में एक पिता ने ऐसा ही दर्दनाक कदम उठाया है। हरीश माहेश्वरी नामक यह व्यक्ति अपने13 साल के बेटे कुलदीप को अपनी आंखों के सामने रोज दम तोड़ते हुए देख रहा है। उनका बेटा टाइप वन डायबीटिक मरीज है और मल्टिपल ऑर्गन फेलयर से जूझ रहा है। पिता हरीश अपने बेटे की बीमारी के इलाज के लिए दवाओं के महंगे खर्च को नहीं जुटा पा रहे हैं।
हालांकि कच्छ के कलेक्टर एम. एस. पटेल ने कहा कि हरीश उनसे मिलने आए थे, उन्हें दोबारा बुलाया गया है। पटेल ने कहा कि कुछ सरकारी नीतियां हैं जिनके तहत बच्चे के इलाज का खर्च उठाया जा सकता है। अगर इसके बाद भी कोई कमी रहेगी तो इस बारे में हेल्द कमिश्नर जे. पी. गुप्ता से बात की जाएगी।
हरीश माहेश्वरी ने कहा, ' मेरे पास अपने बेटे की मौत की इजाजत मांगने के अलावा कोई और विकल्प नहीं शेष था। मैंने उसके इलाज के लिए अपनी हैसियत से ज्यादा खर्च किया और पर इसके बाद अब मेरे पास कुछ नहीं बचा। मैं अपने सारे रिश्तेदारों से इलाज के लिए कर्ज ले चुका हूं।'
हरीश ने बताया कि उनका केवल एक ही बेटा है। हरीश ने कहा, 'उसके इलाज के लिए मदद की उम्मीद लिए मैं गांधीधाम के एमएलए रमेश माहेश्वरी से भी मिल चुका हूं, मैं एमपी से भी मदद की गुहार लगा चुका हूं यहां तक कि मैं मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मदद की भीख मांग चुका हूं। जब कहीं से कोई जवाब नहीं मिला तो मैंने इच्छमृत्यि की गुजारिश की।' जब रमेश माहेश्वरी से इस विषय पर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें याद ही नहीं कि ऐसा कोई व्यक्ति उनके पास आया भी था, अगर वह आया होता तो मैंने जरूर उसकी मदद की होती।
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