भारत का तेजी से बढ़ता मिडिल क्लास विदेशी कंपनियों के लिए एक आकर्षक बाजार बनाता है और देश उपभोक्ता परिव्यय वर्ष 2018-19 तक दोगुने से भी अधिक होकर 2,400 अरब डॉलर होने की संभावना है। आर्थिक खुफिया इकाई (ईआईयू) के एक अध्ययन में यह जानकारी दी गई है।
ईआईयू के अनुसार बड़ा मध्यम वर्ग विनिर्माताओं और फुटकर विक्रेताओं के लिए बेहतर संभावनायें पेश करता है। इससे भी अधिक बढ़ती आय का मतलब है कि भारत की 1.2 अरब की विशाल आबादी तेजी से बढ़ता महत्वपूर्ण बाजार बनता जा रहा है और यह रुख आगे भी बने रहने की संभावना है।
ईआईयू की रिपोर्ट में कहा गया है कि निजी खपत का खर्च वर्ष 2013-14 में जहां 1,000 अरब डॉलर था वह वर्ष 2018-19 में बढ़कर 2,400 अरब डॉलर तक पहुंच जायेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि, बहुलांश आबादी अब भी उपभोक्तावाद के ताजा रुख की ओर बढ़ने के बजाय अपनी दैनिक बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने में ही उलझा रहेगा।
इसमें कहा गया है कि व्यक्तिगत आय में तेज वृद्धि के साथ अधिक खुला बाजार भारत को विदेशी कंपनियों के लिए एक निरंतर आकर्षक बाजार बनाता जाएगा। अध्ययन में कहा गया है कि भारत में अभी भी व्यापक तौर पर कृषि पर निर्भर जनता अधिक है और इसमें अब भी दुनिया की निर्धनतम आबादी का करीब 40 प्रतिशत रहते हैं।