सिरीफोर्ट सभागार में राज की शख्सियत को चार-चाँद लगाता भामाशाह सम्मान

जब कोई अपना हमारे साथ होता है तो हर ख़ुशी दोगुनी हो जाती है’ ऐसा ही कुछ देखने को मिला बीती रात हुए भामाशाह कुटुंब सम्मान समारोह-2016 में. उस वक्त सिरीफोर्ट सभागार पूरा तालियों से गूँज उठा जब मंच पर अवार्ड के लिए राज महाजन को बुलाया गाया. दिल्ली स्थित सिरीफोर्ट सभागार में भामाशाह कुटुंब अवार्ड सेरेमनी का समापन बड़े ही शानदार तरीके से हुआ. विभिन्न श्रेणियों में कई गणमान्य व्यक्तिओं को समाज में उनके अनुपम और विशिष्ट कार्यों के लिए सम्मानित किया गया.

संगीतकार राज महाजन को कला के क्षेत्र में अब तक के अतुलनीय योगदान के लिए “कला-रत्न सम्मान” से सम्मानित किया गया. राज महाजन के स्टेज पर जाने के साथ तालियों का जो शोर हुआ तो काफी देर तक चलता रहा क्यूंकि कला-रत्न सम्मान के साथ राज एक और सम्मान के अधिकारी थे. हर किसी के लिए सेवा भाव रखने वाले राज हुए सम्मानित “सेवा समर्पण सम्मान” से. अवार्ड पाने के बाद राज कुछ भावविभोर हो गए और मंच से जो संदेश दिया उसके कुछ अंश इस प्रकार हैं. “दुनिया आपको हमेशा रोकेगी जब भी आप आगे बढ़ेंगे, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं हम रुक जाएँ. बल्कि लोगों की रोक-टोक से अपने अन्दर आगे बढ़ने का हौंसला और बुलन्द करना चाहिए. मुझे भी बहुत लोगों ने रोका और आज भी लोग मुझे रोकते हैं. लेकिन अपनी मेहनत और लगन से मैं हमेशा आगे बढ़ा हूँ और आगे भी बढ़ता रहूँगा, इससे लोगों को अपने आप जवाब मिल जायेगा. आपकी मेहनत में अपनों का साथ होना ज़रूरी है इससे आपको अपने सपने पुरे करने का रास्ता आसानी से मिल जाता है. कल के राज से आज राज महाजन बनने का सफ़र आसान नहीं था. आज जब यह अवार्ड मिला तब एहसास हुआ कि लोगों ने आज मेरी प्रतिभा को पहचाना है. मैं धन्यवाद देता हूँ भामाशाह कुटुंब को जिन्होंने मुझे इस अवार्ड से नवाज़ा. मैं आने वाली नयी पीढ़ी को यही कहना चाहता हूँ कि सबसे पहले आप खुद सपने देखने की हिम्मत करें, उन्हें पूरा करने के लिए कदम बढायें, कोई साथ ना दे तो भी हिम्मत का दामन थामे रहे और निरंतर प्रयासरत रहे. हमारी आज की हुई मेहनत का फल हमे कल ज़रूर मिलता हैं. एक बात हमेशा याद रखना जब कोई नहीं होता तब भगवान होता है”.

एक सफल उद्यमी, कालाकार, संगीतकार, मेंटर और टीवी होस्ट, क्षेत्र चाहे कोई भी हो हर काम एक दम सटीक और उम्दा तरीके से अंजाम तक पहुंचाया है.यह तो सिर्फ बानगी भर था, इनका एक चेहरा समाजसेवी का भी सामने आता है. आपने ऐसे तो बहुत लोग देखे होंगे जो लोगों की मदद तब करते हैं जब वह खुद कहें, लेकिन यहाँ भी राज महाजन अलग ही जान पड़ते हैं, ज़रुरतमंदों के पास खुद जाकर उनकी जरूरतों को पूरा करना शायद ही आज के समय में कोई करता होगा. राज जानते हैं कच्ची उम्र में पढने-लिखने का क्या महत्व होता है, छोटे बच्चों को किताबें, पेन, पेंसिल आदि सभी ज़रूरत की चीज़े देना और उन्हें पढ़ाना भी जैसे उन्होंने अपनी दिनचर्या का हिस्सा ही बना लिया हो. सिर्फ इतना ही नहीं उनके खाने-पीने की जरूरत को भी पूरा करना राज अपना फ़र्ज़ समझते हैं. कामयाबी के आसमां पर बैठने वाला और इतना नम्र और झुकाव लिए है. जी कोई वृक्ष फलों से लदा हो. ऐसी विशिष्ट और अदम्य हस्ती को सम्मानित करके लोग खुद भी गौवान्वित होते हैं. 

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