
88 में से 44 कॉलेज को 2014 और 2016 के बीच कानूनी शिक्षा प्रदान करने के लिए अनुमति दी गई। मेरठ स्थित यूपी की अन्य लोकप्रिय यूनिवर्सिटी चौधरी चरण सिंह (सीसीएस) यूनिवर्सिटी से कम से कम 101 कॉलेज मान्यता प्राप्त हैं जो एलएलबी की डिग्री ऑफर कर रहे हैं। सीसीएस ने भी 2012 और 2016 के बीच महज चार सालों में डिग्री लेवल कोर्स प्रदान करने के लिए रेकॉर्ड 54 कॉलेजों को मान्यता दी।
यूपी में लॉ कॉलेजों की बढ़ती संख्या कानूनी डिग्री की लोकप्रियता का संकेत है, जिस कारण देश भर के छात्र आकर्षित होते हैं। इसने कानूनी और न्यायिक बिरादरी के बीच इस तरह के संस्थानों द्वारा तैयार किए जाने वाले वकीलों की गुणवत्ता को लेकर चिंता जताई है।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने बताया, 'यह चिंता का विषय है कि कुछ युनिवर्सिटियों ने इतनी बड़ी संख्या में लॉ कॉलेज शुरू करने के लिए मान्यता दी है। हम यूपी और आंध्र प्रदेश में कुछ मामले तलाश रहे हैं।' लेकिन उन्होंने बताया कि बड़े पैमाने पर जिम्मेदारी राज्य सरकार की है जो यह सत्यापन करने के बाद अनापत्ति प्रमाणपत्र देता है कि कॉलेजों के आधारिक संरचना और डिग्री लेवल कोर्स शुरू करने के लिए पर्याप्त सुविधा है या नहीं।
चर्चित यूनिवर्सिटियां जैसे इलाहाबाद यूनिवर्सिटी, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के सिर्फ एक या दो कॉलेज हैं, जो कानूनी शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। मई 2016 की लिस्ट में इस तरह के कॉलेजों की संख्या करीब 1,500 थी। इस लिस्ट में कम से कम 143 कॉलेजों के साथ मध्य प्रदेश दूसरे नंबर पर है, जिसके बाद 139 कॉलेजों के साथ महाराष्ट्र, 115 के साथ कर्नाटक और 110 कॉलेजों के साथ राजस्थान का नंबर है।
लिस्ट के मुताबिक, जयपुर स्थित राजस्थान यूनिवर्सिटी से 41 लॉ कॉलेजों को मान्यता मिली है, जिनमें से अधिकतर 2003 के बाद खुले हैं। राज्य में कई ऐसी यूनिवर्सिटियां हैं, जिसने एलएलबी डिग्री कोर्स शुरू करने के लिए दर्जनों कॉलेजों को मान्यता दी है।
मध्य प्रदेश की भी इसी तरह की कहानी है। भोपाल स्थित बरकतुल्लाह यूनिवर्सिटी से 29 कॉलेज मान्यता प्राप्त हैं, अवधेश प्रताप सिंह यूनिवर्सिटी, रीवा से 21 कॉलेज, इंदौर स्थित देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से 24 कॉलेजों को मान्यता मिली हैं, जिनमें से कम से कम पांच को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है और दाखिला लेने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।