
बिलासपुर यूनिवर्सिटी को प्रदेश की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस यूनिवर्सिटी से सर्वाधिक 168 कॉलेज संबद्ध हैं। बिलासपुर सहित मुंगेली, जांजगीर-चांपा, कोरबा व रायगढ़ जिले के सभी शासकीय, अशासकीय कॉलेजों में अध्ययनरत लगभग दो लाख विद्यार्थी यूजीएपीजी की पढ़ाई कर रहे हैं। इस यूनिवर्सिटी को खुले 5 साल हो गए हैं लेकिन यहां स्वीकृत पदों के अनुसार कर्मचारियों, अधिकारियों की भर्ती नहीं के बराबर है। इस यूनिवर्सिटी में सिर्फ कहने के लिए सरकार द्वारा कुल 192 पद स्वीकृत हैं।
आश्चर्य की बात यह है कि सेक्शन ऑफिसर एएलडीसीएयूडीसी को मिलाकर कुल स्वीकृत 90 पदों के विरुद्ध मात्र एक नियमित कर्मचारी की नियुक्ति अब तक हो पाई है। यूनिवर्सिटी में कुलपति, कुलसचिव व परीक्षा नियंत्रक तो हैं लेकिन डप्टिी रजिस्ट्ररार के 4 में से सभी पद रिक्त हैं। सहायक कुलसचिव के 5 पद के विरुद्ध मात्र दो प्रशिक्षु अधिकारी मिले हैं। प्राध्यापकों के भी पद खाली हैं। कुल मिलाकर यूनिवर्सिटी का कामकाज संविदा कर्मचारियों और दिहाड़ी मजदूरों के भरोसे चल रहा है। आगामी 6 मार्च से यूनिवर्सिटी की परीक्षा प्रारंभ होने वाली है। इसके लिए यूनिवर्सिटी द्वारा 91 कॉलेजों को परीक्षा केन्द्र बनाया गया है।
परीक्षा से संबंधित अति महत्वपूर्ण और गोपनीय कार्य के लिए यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने 17 संविदा कम्प्यूटर ऑपरेटरों के साथ 64 दिहाड़ी मजदूरों को काम पर रखा है। ये सभी मिलकर इन दिनों सबसे बड़ी परीक्षा कराने की तैयारी कर रहे हैं। इन दिहाड़ी मजदूरों को प्रश्नपत्र के बंडलों को खोलने, परीक्षा केन्द्रों में छात्र संख्या के अनुसार विषयवार, संकायवार प्रश्नपत्र डालकर लिफाफा तैयार करने सहित सभी गोपनीय कार्य में लगाया गया है। गौर करने वाली बात यह है कि यूनिवर्सिटी में परीक्षा नियंत्रक भी प्रतिनियुक्ति पर हैं। आसानी से समझा जा सकता है कि यूनिवर्सिटी के सबसे महत्वपूर्ण व अत्यंत गोपनीय काम को कितनी गंभीरता के साथ किया जा रहा है।
पर्चा लीक कांड से भी कोई सबक नहीं यूनिवर्सिटी द्वारा पिछले वर्ष भी दिहाड़ी मजदूरों के भरोसे परीक्षा का काम करवाया गया था। इसका परिणाम इस रुप में सामने आया था कि एक एक कर मुख्य परीक्षा के दौरान तीन पर्चे फूटे थे। दिहाड़ी मजदूरों ने गोपनीय कार्य करते समय प्रश्नपत्रों को निकालकर खूब कमाने के चक्कर में बेचा था। यूनिवर्सिटी द्वारा इस बार भी कर्मचारियों की भारी कमी के कारण परीक्षा कार्य के लिए दिहाड़ी मजदूरों को काम पर रखा गया है।साफ है कि पिछले साल की घटना के बाद भी यूनिवर्सिटी प्रबंधन और उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने सबक नहीं लिया है।
यूनिवर्सिटी से 2 सौ किमी की दूरी तक परीक्षा केन्द्र बीयू से संबद्ध कॉलेजों की दूरी 2 सौ किमी तक है। परीक्षा कार्य के लिए दिहाड़ी मजदूरों को लेकर बनाई गई टीम को बीयू से कोरबा जिला स्थित सभी परीक्षा केन्द्र, मुंगेली, पेन्ड्रा, मरवाही, रायगढ़ जिले के पुसौर, सरिया, सारंगढ़, धरमजयगढ़, पूंजीपथरा, तमनार, छाल, घरघोड़ा स्थित परीक्षा केन्द्रों तक प्रश्नपत्र सहित परीक्षा सामग्री लेकर आना जाना होगा। दूरी अधिक होने व निगरानी के अभाव में रास्ते में गड़बड़ी की पूरी संभावना है। यूनिवर्सिटी के पास परीक्षा के काम में गोपनीयता बरतने और निगरानी रखने की कोई दूसरी व्यवस्था नहीं है। यूनिवर्सिटी के अधिकारी इस बार भी परीक्षा के नाम पर दांव ही खेल रहे हैं।