
पिछले कुछ सालों में सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ फिल्म सर्टिफिकेशन के चेयरमैन पहलाज निहलानी पर निर्माताओं और निर्देशकों ने मनमानी करने और तानाशाह रवैया अपनाने के आरोप लगाए थे। हाल ही में प्रकाश झा के प्रोडक्शन हाउस के बैनर तले अलंकृता श्रीवास्तव के निर्देशन में बनी फिल्म ‘लिपस्टिक अंडर माई बुर्का' में कांट छांट और सर्टिफिकेट देने से मन करने के मामले को लेकर काफ़ी बवाल मचा।
पुरे बॉलीवुड ने सेंसर बोर्ड के प्रणाली की कड़ी आलोचना भी की लेकिन लगता है की अब सरकार ने इन विवादों को ख़त्म करने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार केंद्रीय सरकार सेंसर बोर्ड के अधिकारों पर कैंची चलाने की तैयारी कर रही है। जानकारी के अनुसार अब सेंसर फिल्मों को सिर्फ कैटेगराइज कर सकेगा उन्हें फिल्मो में काट छाँट का अधिकार नहीं होगा।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार फिल्म सर्टिफिकेशन में सुधार पर बनी श्याम बेनेगल कमिटी की सिफ़ारिशों के आधार पर 1952 के सिनेमाटोग्राफ क़ानून में बदलाव किये जाने की सम्भावना है, सूत्रों की मानें तो सरकार इसी सत्र में यह संशोधन करते हुए नए कानून को लागू कर सकती है।