'कुछ-कुछ होता है', 'कभी अलविदा न कहना' और 'ऐ दिल है मुश्किल' जैसी लव स्टोरी बेस्ड फिल्में बना चुके करन का कहना है कि उनकी फिल्मों में उनकी रियल लाइफ भी दिखती है। करन आगे कहते हैं कि इंडस्ट्री में होने वाली 'हैप्पी मैरिज' मेरे लिए आहत करने वाली होती थी। मैं उससे कहता था, ‘तुम एक डायनासोर हो, यहां से चले जाओ।’ जब करन से पूछा गया कि क्या वे गरीब रहकर सच्चा प्यार पाना पसंद करेंगे या फिर अमीर होकर सिंगल रहना? करन ने जवाब में कहा, "सच्चा प्यार अब दूर की बात हो गई है, सिर्फ लालसा रह जाती है। इसलिए मैं अमीर बनकर सिंगल रहना पसंद करूंगा।’
फिल्ममेकर करन जौहर भी प्यार में नाकाम साबित हुए हैं। उन्होंने अपने इस दर्द को अपनी फिल्मों के जरिए बयां किया है। एक बातचीत में करन ने बताया कि किस तरह उन्हें "हैप्पी मैरिज' करने वाले कपल से जलन होने लगी थी। करन ने कहा, "लोग मुझसे कहते हैं कि हिन्दी फिल्में थिएटरिकल और ड्रेमेटिक होती हैं। लेकिन ये कहीं न कहीं रियल लाइफ से भी जुड़ी होती हैं। मैं उस शादी के मंडप में बैठा था, जहां मेरा प्यार किसी और से शादी कर रहा था। जब यह सब होता है तो आप सोचने लगते हो कि आप इससे जीवन में कभी नहीं उबर सकते।'
करन हाल ही में सरोगेसी के जरिए पिता बने हैं। उन्होंने अपने जुड़वां बच्चों के बारे में कहा, ‘जब मैंने अपने बच्चों को पहली बार देखा था तो मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरी आंखों में आंसू आ गए। यह एक अजीब सा सुखद अहसास था। इससे पहले मैंने इसे शायद ही कभी महसूस किया हो। करन ने कहा, ‘मैं अपने वंश को आगे बढ़ाने के लिए पिता नहीं बना हूं। मैं अपने प्यार को बांटना चाहता हूं। मेरे अंदर बहुत अकेलापन था, इसलिए मैंने यह फैसला लिया। अपने माता-पिता की तरह मैं भी अपने बच्चों की हेल्प करना चाहता हूं। मैं अपने बच्चों के लिए पिता से ज्यादा मां का रोल निभाऊंगा।’
करन ने अपनी फिल्मों में नाकाम प्यार से उबरते हुए प्रेमी दिखाए हैं। जब उनसे पूछा गया कि वे इस बारे में क्या सलाह देंगे? इसके जवाब में उन्होंने कहा, "अपने काम को अपना एम्बीशन बना लें, न कि अपनी लव लाइफ को बनाएं।'