
मुलाजिमों को तनख्वाहें तक नहीं मिली
यह अधिकार यूनिवर्सिटी की सिंडीकेट के पास है। दूसरा अध्यापकों को एक महीना पहले कोई भी नोटिस नहीं दिया गया। यूनिवर्सिटी के आदेशानुसार 28 फरवरी को अध्यापक रिलीव होने थे। दूसरी तरफ नॉन-टीचिंग स्टाफ के वकील की तरफ से हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखा गया कि ये अध्यापक सेवामुक्त हो चुके हैं और सेवामुक्ति के बाद भी बोझ बने हुए हैं। इसके साथ यूनिवर्सिटी को वित्तीय घाटा पड़ रहा है और मुलाजिमों को तनख्वाहें तक नहीं मिल रही हैं। हाईकोर्ट के जज ने दोनों पक्ष सुनने के उपरांत यूनिवर्सिटी को हुक्म दिया है कि वह सेवामुक्त अध्यापकों को 28 फरवरी को रिलीव नहीं करेगी और 8 मार्च तक इनको अस्थायी स्टे दिया जाता है।