
साल 2014 में पाकिस्तानी जर्नलिस्ट-राइटर सबा सैयद ने 'कराची यू आर कीलिंग मीं' नामक नॉवेल लिखा जो की बेस्टसेलर के रूप में भी सबके सामने आया. नॉवेल में कहानी 20 साल की जर्नलिस्ट आयशा की थी, जिसे 'नूर' फिल्म के जरिए सामने लाया गया है.
यह कहानी मुंबई की रहने वाली 28 साल की जर्नलिस्ट नूर रॉय चौधरी (सोनाक्षी सिन्हा) की है, जो अपने पिता के साथ रहती है. नूर की मां की बचपन में ही डेथ हो चुकी है. नूर की जिंदगी में उसके दो दोस्त जारा पटेल (शिबानी दांडेकर) और साद सहगल (कनन गिल) काफी अहमियत रखते हैं. नूर हमेशा रीयल मुद्दे पर आधारित स्टोरीज करना चाहती है लेकिन उसका बॉस शेखर दास (मनीष चौधरी) हमेशा ही उसे एंटरटेनमेंट की स्टोरी करने को कहता है.
इसी बीच नूर को एक ऐसे गैंग की कहानी का पता चलता है जो बहुत बड़ा रैकेट चलाता है और जिसमें शहर के बड़े-बड़े लोग भी इन्वॉल्व हैं. नूर ये स्टोरी करती भी है लेकिन उसकी स्टोरी चोरी हो जाती है. इसी बीच कहानी में अयान बनर्जी (पूरब कोहली) की एंट्री होती है. अंततः कहानी में कई मोड़ आते हैं और कहानी को अंजाम मिलता है.
फिल्म की कमजोर कड़ी इसकी कहानी है जो काफी बोरिंग है और बहुत ही धीरे धीरे चलती है , इसकी रफ़्तार तेज की जा सकती थी और साथ ही जिस नॉवेल पर आधारित यह फिल्म है उसमें कई सारे उतार चढ़ाव और थ्रिलिंग एलिमेंट्स होते हैं पर फिल्म को कोई और ही रूप दे दिया गया है जिसकी वजह से काफी फीकी फीकी सी कहानी बन गयी.
कोई भी किरदार न्यायसंगत सा नजर नहीं आता और कई जगहों पर काफी खींची खींची कहानी लगती है. फिल्म में मुंबई से रिलेटेड एक बड़ा मोनोलॉग है, जिसकी लिखावट तो कमाल की है लेकिन उसे और भी दमदार तरीके से पेश किया जा सकता था. एक जर्नलिस्ट की कहानी फिल्म में दर्शायी गयी है लेकिन जर्नलिस्ट के इर्द गिर्द या असल जिदंगी में चल रही कहानी को दर्शा पाने में सुनहिल असफल रहे हैं.
फिल्म की कहानी काफी दिलचस्प है और संवाद काफी हार्ड हीटिंग हैं. फिल्म का पहला और आखिरी सीन आपको सोचने पर विवश कर ही देता है. फिल्म का डायरेक्शन, लोकेशन अच्छा है और शूटिंग का तरीका बढ़िया है. संगीत ठीक ठाक है लेकिन 'गुलाबी आंखें' बेहतरीन सॉग है.
हिंदी में फिल्म बनाते समय भाषा, लहजा और मानस पर भी ध्यान देना चाहिए। ‘नूर’ महात्वाकांक्षी नूर राय चौधरी की कहानी है। वह समाज को प्रभावित करने वाली स्टोरी करना चाहती है, लेकिन उसे एजेंसी की जरूरत के मुताबिक सनी लियोनी का इंटरव्यू करना पड़ता है। उसके और भी गम है। उसका कोई प्रेमी नहीं है। बचपन के दोस्त पर वह भरोसा करती है, लेकिन उससे प्रेम नहीं करती।