
प्रियंका ने न्यूयॉर्क से फोन पर बताया, “मैं नकारात्मक सोच वाली इंसान नहीं हूं, मैं यह सोचना पसंद करूंगी कि आखिरकार क्षेत्रीय सिनेमा को वह श्रेय मिल रहा है, जिसका वह हकदार है, क्योंकि इससे बहुत सारे अविश्वसनीय कहानीकार और फिल्म निर्माता जुड़े हुए हैं और जैसा कि उन्हें मौका मिलता है और निर्माता उन्हें सहयोग देते हैं तो क्षेत्रीय सिनेमा को बढ़ावा मिलता है और बिल्कुल वे अच्छा प्रदर्शन करेंगे.”
उनके घरेलू बैनर ‘पर्पल पेबल पिक्चर्स’ के तले बनी भोजपुरी फिल्म ‘बम बम बोल रहा है काशी’ मराठी फिल्म ‘वेंटिलेटर’ और पंजाबी भाषा की फिल्म ‘सर्वनन’ ने अच्छा प्रदर्शन किया है. अब वह अपनी मां मधु चोपड़ा के साथ मिलकर हिंदी के अलावा सिक्किम की फिल्म ‘पहुना’, मराठी में ‘के रे रास्कला’ कोंकणी में ?’‘लिटिल जो, कहां हो, और दो बंगाली फिल्मों ‘ब्रिस्टिर ओपेख्याय’, व ‘बस स्टॉप के क्यू नेई’ का निर्माण कर रही हैं.
प्रियंका ने कहा, “कंपनी स्थापित करने का उनका उद्देशय क्षेत्रीय फिल्मों को अवसर प्रदान करना था..और हम यह कंटेंट और योग्यता के आधार पर करते हैं.” उन्होंने कहा कि सिक्किमी भाषा में उन्होंने फिल्म बनाने का फैसला इसलिए किया, क्योंकि अब तक एक भी फिल्म सिक्किम में नहीं बनी है.
एक युवा निर्माता के रूप में प्रियंका प्रशंसा पाकर उत्साहित होती हैं. अभिनेत्री का कहना है कि उनकी यह छोटी-सी प्रोडक्शन कंपनी है और छोटे-छोटे कदम उठाए जा रहे हैं. इस कंपनी की स्थापना इसलिए की गई थी, ताकि नई प्रतिभाओं, नए निर्देशकों और कलाकारों को मौका दिया जा सकें, क्योंकि जब वह इस उद्योग से जुड़ी थीं तो उनके पास यह मंच नहीं था, इसलिए वह दूसरों को अवसर उपलब्ध कराने के योग्य बनना चाहती थीं. अभिनेत्री फिलहाल न्यूयॉर्क में अमेरिकी टीवी शो ‘क्वांटिको’ के दूसरे सीजन की शूटिंग में व्यस्त हैं.