
मनोज का घर बिहार के पश्चिमी चंपारण के बेलवा गांव में है। यहां एक्टर बनना अच्छी बात नहीं माना जाता था। जब मनोज ने अपने घर में एक्टर बनने की बात कही थी, तब पड़ोसियों और उनके रिश्तेदारों ने भी उनका मजाक बनाया था। उन्होंने चौथी क्लास तक की पढ़ाई गांव के ही प्राइमरी स्कूल से की। बाद में उन्हें बेतिया में पढ़ने के लिए भेज दिया गया।
यहां उन्होंने केआर हाईस्कूल से मैट्रिक (10वीं) की। उन्होंने बेतिया के ही महारानी जानकी कॉलेज से 12वीं की पढ़ाई पूरी की। दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कॉलेज से हिस्ट्री ऑनर्स से 1989 में ग्रैजुएशन की पढ़ाई पूरी की।
इस तरह एक्टिंग को करियर बनाने का किया फैसला है मनोज को बचपन से ही एक्टिंग का शौक था, पर इसकी व्यवस्थित शुरुआत के बारे में उन्हें ज्यादा जानकारी नहीं थी।
दिल्ली में पढ़ाई के दौरान एक न्यूजपेपर में छपी नसीरुद्दीन शाह के इंटरव्यू से मनोज को नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के बारे में पता चला। इसके बाद उन्होंने एनएसडी में पढ़ाई करने का मन बना लिया। मनोज ने जब मनोज दिल्ली में रहते थे तब उन्हें 300 रुपए में गुजारा करना पड़ता था। 150 रुपए उन्हें घर से मिलता था जबकि 150 रुपए वे खुद नुक्कड़ नाटकों में एक्टिंग के जरिए कमाते थे।
दिल्ली में लगातार चार साल तक प्रयास करने के बावजूद एनएसडी में उनका एडमिशन नहीं हो सका। इसके बाद उन्होंने सुसाइड का मन बना लिया था, लेकिन बाद में दोस्तों के समझाने के बाद वे नुक्कड़-नाटक में एक्टिंग करते रहे। उन्होंने नुक्कड़ नाटकों के साथ थिएटर भी करना शुरू कर दिया।l