
साकेत चौधरी ने कहा, ''किसी किरदार में फिट होने के लिए आप किसी ख़ास शख़्स को ही देखते हैं। कई स्थापित अभिनेत्रियां, जो पर्दे पर मां का रोल नहीं करना चाहतीं। यहां ये मुद्दा था। मुझे 'शादी के साइड इफ़ेक्ट्स' के वक़्त से ही ये अनुभव होता रहा है।'' साकेत बताते हैं कि उन्हें इस समस्या का सामना तब से करना पड़ा है, जब वो 'शादी के साइड इफ़ेक्ट्स' के लिए कास्टिंग कर रहे थे। चौंकाने वाली बात ये है कि इस फ़िल्म में फ़ीमेल लीड फ़ाइनल करने में आठ साल का लंबा अर्सा लग गया, क्योंकि कोई बड़ी एक्ट्रेस फ़िल्म में मां का रोल निभाने को तैयार नहीं थी।
'शादी के साइड इफ़ेक्ट्स' में फ़रहान अख़्तर और विद्या बालन ने लीड रोल्स निभाए थे। 'प्यार के साइड इफ़ेक्ट्स' 2006 में आई थी। साकेत कहते हैं, "सात-आठ साल का अंतर इसी वजह से हुआ। कास्टिंग के लिए काफी जूझना पड़ा। विद्या साहसी अदाकारा हैं। उन्हें कोई समस्या नहीं थी, मगर दूसरों को होती है। मैं हिंदी मीडियम के साथ वही होते हुए नहीं देखना चाहता था।"