
उन्होंने बताया कि 2012 में हमने पहली बार बात की. सचिन से मुलाकात करने में ही 6 से 8 महीने लग गए थे. इसके बाद उन्हें मनाने में समय लगा. सचिन ने कहा कि वो एक स्पोर्ट्समैन है. एक्टिंग उनसे नही होगी. उनकी इस बात पर जेम्स अर्स्किन उनसे कहा कि, हम नहीं चाहते कि आप एक्टिंग करें. हम कुछ वक्त उनको फॉलो करेंगे और कुछ खास मोमेंट्स शूट करेंगे. लेकिन एक्टिंग नहीं होगी. आप जिस सिचुएशन में जैसे होंगे, हमें वैसे ही कैमरे में लेना है. इसके बाद साढ़े तीन साल तक कैमरे के साथ उनको हर जगह फॉलो किया गया. उन्होनें बताया कि सबसे ज्यादा समय सबसे ज्यादा वक्त एडिटिंग में लगा, तकरीबन तीन साल.
उन्होंने बताया कि जब हमने फिल्म की शूटिंग शुरु की थी तब तक कोई भी बायोपिक नहीं आई थी. ना भाग मिल्खा भाग, ना मैरीकॉम. इस फिल्म में फिक्शन बहुत कम है. उनका कहना है कि सचिन को सब जानते है इसलिए एस मूवी में हमनें कुछ अलग एंगल लिया है. जो जैसा था सब कुछ वैसा ही. ड्रामेटाइज नहीं किया. लेकिन उन्होंने बताया कि एक फैन होने के नाते मुझे सचिन की कहानी सचिन से ही सुननी है. उन्हें लगता है कि हर फैन यही सोचता होगा. उनकी कहानी हर कोई उन्हीं से सुनना चाहता है. सचिन ने सभी बातें खुल कर की हैं. उसके बाद सभी ने साथ मिलकर तय किया कि फिल्म में क्या लाना है क्या नहीं. उन्होंने बताया कि सचिन के साथ कोई वैचारिक मतभेद तो नहीं हुए. लेकिन जब भी ऐसा कुछ होता था तो हम बात करते थे.