प्रदेश की SHIVRAJ सरकार द्वारा पांच संतों को राज्य मंत्री का दर्जा दिए जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है, जहाँ सर्कार इसे जनकल्याण का मार्ग बता रही है वही कांग्रेस और अन्य विरोधी इसे स्वांग करार दे रहे है,इन संतोंमें से ही पहले कुछ साधुओं ने शिवराज सिंह चौहान पर नर्मदा घोटाला का आरोप लगाया और यात्रा की तैयारियां शुरू कर दीं थी,इसी तरह शिवराज सरकार को लेकर इंदौर में रहने वाले राष्ट्रसंत भय्यू महाराज कई सालों से मध्य प्रदेश सरकार की उपेक्षा से काफी नाराज थे, इस नाराजगी को जाहिर करने के लिए उन्होंने इससे पहले भी राज्य सरकार पर कई बार जुबानी हमले भी किए थे.
एक बार तो राज्य सरकार के सम्मेलन में उन्हें नहीं बुलाए जाने को लेकर उन्होंने बौद्ध धर्म स्वीकार करने तक की धमकी दे डाली थी. पर आज इनका कहना है कि का कहना है यह एक संवैधानिक पद है और हम सामाजिक सेवा से जुड़े हुए लोग हैं.यह सम्मान है. इसलिए हमने इसको स्वीकार किया है,
अचानक शिवराज के भय्यू महाराज को राज्यमंत्री का दर्जा देने को लेकर यही अटकलें लगाई जा रही हैं कि चुनावी साल में शिवराज सभी को साधने की तैयारी कर रहे हैं.भय्यू महाराज कहते हैं, "मैं आपको स्पष्ट कह चुका हूं कि मेरी सोच राष्ट्रवादी है. मैंने धर्म व्यवस्था के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन का संकल्प लिया है. मानवता मेरा मूलाधार है. इसलिए मैं कभी राजनीतिक मंच शेयर करने की कोशिश नहीं करता हूं. आप सामाजिक कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं और राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं, तो मुझे नहीं लगता यह गलत है."