उनका जॉब मंदसौर में था और वो डेली अपने शहर से मंदसौर बस से अप डाउन करती थी, जब कभी उनके वर्कप्लेस पे कोई फंक्शन होता था तो वो मेरे यह रुकने का बोलती थी, एक दिन आया की उन्हे मेरे यहां पहली बार आना हुआ, आते ही उनका पहला रिएक्शन - मेडम आप अकेली रहती है इसीलिए आपका घर इतना साफ और सुंदर है।
मैं 🙄🙄 ओह ऐसा होता है क्या
फिर उन्हें बाहर जाना था शाम को किसी मित्र से मिलने, वो अपना बैग खोलकर लगी समान बिखराने,, काजल , लिपस्टिक, आईलाइनर, पाउडर, और ना जाने क्या क्या 🙄 हद तो तब लगी जब जहां तहां सेफ्टी पिन फैला गई थी वो भी खुली हुई, और कान के झुमके जमीन तक में गिरे हुए थे, एक छोटे से बैग में इतना समान कैसे आता होगा यार 🙄
मेरा पूरा रूम पार्लर लग रहा था एक घंटे बाद 🙄
मैं जिसे सफेद दीवारे, सफेद फर्नीचर, सफेद फर्श, साफ व्यवस्थित हर चीज अपनी जगह पर होनी चाहिए ये सब देखकर खून खौल गया, साफ स्पष्ट बोलने की बीमारी के चलते मित्र बहुत कम है मेरे, उस दिन भी यही सोचकर चुप रह गए, उसके जाते ही रुम साफ किया, दस बजे मेडम आई, आते ही किचन पे टूट पड़ी,,,, खाना क्या बनाया ? मैने कहा - गंदगी फेल गई थी रूम में, वो साफ करने में टाइम लग गया,
फिर मेरी मदद कर के बोल वो मेक अप धोने में जुट गई, मैं खाना बनाने में, फिर वो मोबाइल में गप्पे मारने लगी,किसी तरह मैंने खाना बनाया , खाना खाते हुए एक ही बात बोले जाएं, आपकी मदद नहीं कर पाए बिजी चल रहे है ना आजकल, अगली बार आयेगे तो सब हम करेगे, आप कुछ नही करेगी,
मैने सोचा क्या ये अगली बार भी आयेगी 🙄🙄
अगली सुबह उन्हें आठ बजे जाना था, मेडम आराम से 7 बजे उठी, और रेडी होने लगी ,8:30 तक तैयार ही होती रही,, मैने खाना बना दिया था टिफिन पूछा तो बोली ओह हम तो निकालना ही भूल गए बैग से, मैने अपना टिफिन दिया, वो जाते जाते भी लिपस्टिक लगाना नही भूली, और एक बार फिर मेरा रूम ..... 🙄
अगली बार जब वो बोली आपके यहां आ रहे है रुकने मैने बोला मैं तो भोपाल में हूं ,, उसके बाद अगले कई महीनो तक उनके लिए मैं भोपाल में ही थी 🙏🙄
कई बार जैसा लोगो को आपके बारे में फील होता है वैसे आप होते नही है, मैं सोशल हूं लेकिन सिलेक्टिव सोशल हूं, कई बार दोस्ती मुझे फेविकोल सी महसूस होने लगती है और मैं गायब हो जाती हूं। पूजा पाण्डेय